tag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post7774707445285129638..comments2024-03-27T12:30:05.562+05:30Comments on Poorvabhas: ओमप्रकाश सिंह और उनके तीन नवगीत — अवनीश सिंह चौहानअवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttp://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-4336430669474729562011-10-29T16:50:03.344+05:302011-10-29T16:50:03.344+05:30जन साधारण के मर्म की सहज अभिव्यक्ति .. आभारजन साधारण के मर्म की सहज अभिव्यक्ति .. आभारAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09417713009963981665noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-5170457661882361792011-10-18T12:13:31.501+05:302011-10-18T12:13:31.501+05:30अच्छे ,सामयिक नवगीत ! कथ्य और शब्द-विन्यास दर्शनीय...अच्छे ,सामयिक नवगीत ! कथ्य और शब्द-विन्यास दर्शनीय है !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-91479307708470108232011-10-17T09:11:08.218+05:302011-10-17T09:11:08.218+05:30मान्यवर, राजा के सत्ताधारी होने की जो बात यहाँ की ...मान्यवर, राजा के सत्ताधारी होने की जो बात यहाँ की गई है वह प्रजातंत्र के परिप्रेक्ष्य में देखें, बात समझ में आ जायेगी. जहाँ तक नवगीत के कथ्य की बात है तो यह जनसामान्य/ पाठक की समझ से परे नहीं है. और जो लोग जनता को नासमझ समझते हैं उन लोगों की बुद्धि और विवेक दोनों पर तरस आता है. सुझाव अच्छा है, देते रहिएगा. सादर- <br />--अवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttps://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-87902180178496911122011-10-16T18:23:46.326+05:302011-10-16T18:23:46.326+05:30राजा ही सत्ताधारी ----तो और कौन सताधारी होना चाहिए...राजा ही सत्ताधारी ----तो और कौन सताधारी होना चाहिए ??<br /><br />----मूलतः नव-गीत की आज जो कथ्य-भंगिमा है ..दूरस्थ भाव ..वह जन जन के लिए नहीं अपितु सिर्फ कवियों साहित्यकारों के समझने में ही आती है ....इसकी सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि ...यह कविता जन--जन को सम्प्रेणीय नहीं है ...जबकि इसमें बात जन -जन की होती है ..जन सामान्य के लिए ????.<br />---यदि नव-गीतकार ...व्यंजनाएं , नए नए असामान्य , अप्रचलित शब्दों का प्रयोग न् करें..तो कथ्य अधिक जन-संप्रेषणीय हो... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-9104879069029854102011-10-16T16:32:41.909+05:302011-10-16T16:32:41.909+05:30आधुनिक परिस्थितियों क सटीक विष्लेषण आभार
कृपय...आधुनिक परिस्थितियों क सटीक विष्लेषण आभार <br /><a href="http://fresh-cartoons.blogspot.com/" rel="nofollow"> कृपया मुझे भी आर्शिवाद दे ! आभारी रहूँगा !!</a>अशोक कुमार शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/00322447925425282794noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-56960613794214435292011-10-16T09:57:55.824+05:302011-10-16T09:57:55.824+05:30तीनो नवगीत काफी सशक्त हैं।तीनो नवगीत काफी सशक्त हैं।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-5774061766116581222011-10-15T19:45:28.947+05:302011-10-15T19:45:28.947+05:30इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर...इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के <a href="http://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर भी की गई है!<br />यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो <a href="http://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> का भी प्रयास सफल होगा।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com