tag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post8988149702720225548..comments2024-03-27T12:30:05.562+05:30Comments on Poorvabhas: ‘नवगीत वाङ्मय’ : एक समीक्षा — वीरेन्द्र निर्झर अवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttp://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-23097163109981017122023-02-05T07:48:59.905+05:302023-02-05T07:48:59.905+05:30Great work Sir Great work Sir Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-70397299114156596612023-02-03T11:20:26.785+05:302023-02-03T11:20:26.785+05:30साहित्य अकादमी (भोपाल) से प्रकाशित होने वाली पत्रि...साहित्य अकादमी (भोपाल) से प्रकाशित होने वाली पत्रिका- साक्षात्कार का नवगीत विशेषांक (जुलाई-अगस्त-सितंबर 2022) पिछले दिनों डाक से प्राप्त हुआ। इस विशेषांक का कुशल संपादन श्रद्धेय डॉ रामसनेही लाल शर्मा यायावर जी के विशेष सहयोग से आ. डॉ विकास दवे जी द्वारा किया गया है। नवगीत के क्षेत्र में इसे एक बेहतरीन विशेषांक के रूप में देखा जा सकता है।<br /><br />इस विशेषांक में आ. संपादक जी ने मेरे एक नवगीत- विज्ञापन की चकाचौंध (पृ 156) को स्थान दिया है।<br /><br />इसी विशेषांक में जहां मेरे अग्रज विद्वान आ. राजा अवस्थी जी ने अपने लेख- आभासी दुनिया में नवगीत में मेरे द्वारा संपादित - गीत पहल और पूर्वाभास वेब पत्रिकाओं द्वारा नवगीत के क्षेत्र में किए गए योगदान को सस्नेह रेखांकित किया है; वहीं ऑथर्स प्रेस, नई दिल्ली से प्रकाशित, मेरे द्वारा संपादित "नवगीत वाङ्मय" की समीक्षा (पृ 184 - 188) परम-सनेही विद्वान डॉ गंगा प्रसाद गुणशेखर जी द्वारा की गई है।<br /><br />नवगीत के बड़े-बड़े रचनाकारों-लेखकों के बीच मुझ नाचीज को स्थान देने के लिए संपादक महोदय और आचार्यप्रवर यायावर जी का ह्रदय से आभारी हूं।<br /><br />- अवनीश सिंह चौहान<br />...<br />'नवगीत वाङ्मय' यहाँ उपलब्ध है : https://www.amazon.in/Navgeet-Vangmay-Abnish-Singh-Chauhan/dp/B09FY2T7NY/ref=sr_1_1?qid=1675398461&refinements=p_27%3AAbnish+Singh+Chauhan&s=books&sr=1-1अवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttps://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-51209649907043468402022-02-01T20:20:11.225+05:302022-02-01T20:20:11.225+05:30 एक एक पक्ष को दर्शाती बहुत ही सटीक और सारगर्भित स... एक एक पक्ष को दर्शाती बहुत ही सटीक और सारगर्भित समीक्षा । नवगीत विधा को नई ऊँचाइयाँ देने वाले सभी साहित्यकारों के नवगीत की झलक और सार्थक प्रस्तुति उनके गूढ़ साहित्य सृजन को दर्शा गई । डॉ अवनीश सिंह चौहान जी की यह पुस्तक वास्तव में नवगीत के लिए संजीवनी है ।<br /> बहुत शानदार समीक्षा के लिए डॉ वीरेन्द्र निर्झर जी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई । डॉ अवनीश सिंह चौहान जी को इस सुंदर साहित्य सृजन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-77962654935639657842022-01-12T17:45:27.114+05:302022-01-12T17:45:27.114+05:30बहुत विवेचना पूर्ण एवं सटीक समीक्षा।
समीक्षा के म...बहुत विवेचना पूर्ण एवं सटीक समीक्षा। <br />समीक्षा के माध्यम से " नवगीत वांग्मय " संग्रह को पूर्णतः जानने और समझने का अवसर मिला। <br /> निश्चित रूप से डॉ अवनीश सिंह चौहान ने नवगीत को लेकर बहुत महत्व पूर्ण कार्य किया है। आदरणीय डॉ वीरेंद्र निर्झर को बहुत अच्छी समीक्षा के लिए हार्दिक बधाई। Madhu Shuklahttps://www.blogger.com/profile/12085694390885881253noreply@blogger.com