tag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post3045547424470831961..comments2024-03-27T12:30:05.562+05:30Comments on Poorvabhas: देवेन्द्र कुमार पाठक और उनके तीन नवगीत — अवनीश सिंह चौहानअवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttp://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-36224031800222842602017-02-11T01:10:31.849+05:302017-02-11T01:10:31.849+05:30आभार कहता हूँ पाठक जी !आभार कहता हूँ पाठक जी !हिंदी साहित्य के केंद्र में नवगीत [ भोलानाथ के नवगीत ]https://www.blogger.com/profile/12672040244714104587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-72442894445477708152013-05-08T16:23:18.512+05:302013-05-08T16:23:18.512+05:30आपका नवगीत आज के परिवेश मेँ हताशा से उबारकर जनजीव...आपका नवगीत आज के परिवेश मेँ हताशा से उबारकर जनजीवन और हमारी धरती को सुँथर बनाने के लिए प्रेरित करता हैदेवेन्द्र कुमार पाठकhttps://www.blogger.com/profile/00065771285127621788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-56296817174691144192013-04-06T01:08:46.089+05:302013-04-06T01:08:46.089+05:30मेरे अपने सभी सुधि पाठक ,सुधि श्रोता और नवोदित, वर...मेरे अपने सभी सुधि पाठक ,सुधि श्रोता और नवोदित, वरिष्ठ,तथा मेरे समय साथ के सभी गीतकार,नवगीतकार और साहित्यिक मित्रों को समर्पित आज का यह नया गीत विद्रूप यथार्थ की धरातल पर सामाजिक व्यवस्था और प्रबंधन की चरमराती लचर तानाशाही के कुरूप चहरे की मुक्म्मल बदलाव की जरूत महसूस करता हुआ नवगीत !<br />साहित्यिक संध्या की सुन्दरतम बेला में निवेदित कर रहा हूँ !आपकी प्रतिक्रियाएं ही इस चर्चा और पहल को सार्थक दिशाओं का सहित्यिक बिम्ब दिखाने में सक्षम होंगी !<br /><br />और आवाहन करता हूँ "हिंदी साहित्य के केंद्रमें नवगीत" के सवर्धन और सशक्तिकरण के विविध आयामों से जुड़ने और सहभागिता निर्वहन हेतु !आपने लेख /और नवगीत पढ़ा मुझे बहुत खुश हो रही है मेरे युवा मित्रों की सुन्दर सोच /भाव बोध /और दृष्टि मेरे भारत माँ की आँचल की ठंडी ठंडी छाँव और सोंधी सोंधी मिटटी की खुशबु अपने गुमराह होते पुत्रों को सचेत करती हुई माँ भारती ममता का स्नेह व दुलार निछावर करने हेतु भाव बिह्वल माँ की करूँणा समझ पा रहे हैं और शनै शैने अपने कर्म पथ पर वापसी के लिए अपने क़दमों को गति देने को तत्पर है!.....<br /><br />लौटेंगे<br />फिर से<br />खोखल में पांखी<br />बैठेंगे उड़ उड़<br />अमुआं की डारी !<br />मादक रसीले<br />टपकेंगे<br />कूँची के महुये<br />नचती गिलहरी<br />पतझर से हारी !<br />बरगद की फुनगी<br />कोंपल सजेगी<br />कानों की लटकन सी<br />इमली की फलियाँ,<br />फूलेंगी फूलों की<br />बगिया गुलाबी<br />गायेंगे भौंरे<br />मधुबन की गलियाँ,<br />उजड़े<br />वनों की<br />उजड़ी आजादी<br />अँखुओं सजेगी<br />कुल्हारियों की मारी !<br />लौटेंगे<br />फिर से<br />खोखल में पांखी<br />बैठेंगे उड़ उड़<br />अमुआं की डारी !<br />मादक रसीले<br />टपकेंगे<br />कूँची के महुये<br />नचती गिलहरी<br />पतझर से हारी !<br />सरफरोसी धोबिन<br />धोएगी मल मल<br />अपने जिगर के लहू से<br />दामन का काजल,<br />किया नालों ने<br />नदियों को आहत<br />दूषित किया है<br />दंभों ने पोखर का जल,<br />विस्तार पाकर<br />तलैयाँ<br />तलबा बनेंगी<br />हांथों में<br />थाँमकर कुदारी !<br />लौटेंगे<br />फिर से<br />खोखल में पांखी<br />बैठेंगे उड़ उड़<br />अमुआं की डारी !<br />मादक रसीले<br />टपकेंगे<br />कूँची के महुये<br />नचती गिलहरी<br />पतझर से हारी !<br />भूलना नहीं है<br />हाँकना है<br />शतरंगी अजगर<br />बगईचों की छाँव से,<br />दहशत में तितली<br />सहमी चिरैया<br />चापलूस गिरगिट<br />हाँकना है गाँव से,<br />सहगान<br />चुनगुनिया<br />निर्झर झरेंगे<br />संगीत सरिता<br />बहायेगी कोयल दुलारी !<br />लौटेंगे<br />फिर से<br />खोखल में पांखी<br />बैठेंगे उड़ उड़<br />अमुआं की डारी !<br />मादक रसीले<br />टपकेंगे<br />कूँची के महुये<br />नचती गिलहरी<br />पतझर से हारी !<br /><br />भोलानाथ<br />डॉराधा कृष्णन स्कूल के बगल में<br />अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर<br />जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत<br />संपर्क – 8989139763हिंदी साहित्य के केंद्र में नवगीत [ भोलानाथ के नवगीत ]https://www.blogger.com/profile/12672040244714104587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-68072443403360216362013-02-06T22:09:49.559+05:302013-02-06T22:09:49.559+05:30 आदरणीय देवेन्द्र पाठक जी उन लोगों में है,... आदरणीय देवेन्द्र पाठक जी उन लोगों में है, पिछले कई बरसों से मैं जिनके बेहद करीब रहा हूँ। देवेन्द्र पाठक नवगीतों में आमजन की पीड़ा और संत्रास को अभिव्यक्त ही नहीं करते बल्कि वे आमजन के पक्ष में लाठी,घूँसा भी बन जाना चाहते हैं। वे अपने रचना संसार के विविध रूपों के साथ नवगीतों में भी बाज़ारू, राजनीतिक ,तथाकथित धार्मिक छल-छद्मों को बेनकाब करते हैं। अबनीश जी ने सच ही कहा है कि उनका अंदाज़ कबीराई है।मैं उन के इसी कबीराई अंदाज़ का पिछले 26 वर्षो से साक्षी हूँ।<br /> <br /> सुन्दर व् सार्थक नवगीतों के लिए देवेन्द्र पाठक जी को बधाई और अबनीश जी को धन्यवाद। RAJA AWASTHIhttps://www.blogger.com/profile/07172842845350029321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-80342021970726926662013-02-06T12:52:11.520+05:302013-02-06T12:52:11.520+05:30बहुत ही सुन्दर गीत .....समाज को प्रतिबिंबित भी करत...बहुत ही सुन्दर गीत .....समाज को प्रतिबिंबित भी करते हैं ...और उत्साहवर्धन भी .....बेहद सरल भाषा में ....अंतस तक उतरने वाले गीत ....<br />गुस्सा-गाली, थप्पड़-घूँसा,<br />लाठी बनकर देख <br />झुकते-झुकते टूट न ऐसे <br />टहनी जैसे तनकर देख ....ऊर्जा बिखेरते शब्द <br />फेंको गुठली चूस चुके रस<br />सीधी बात समझ यह आती.....दो पंक्तियों me कडुवा सच .....नमन मेरा ...देवेन्द्र कुमार पाठक जी को <br />संध्या सिंहhttps://www.blogger.com/profile/11549759811338829461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-39035296765005700752013-02-03T23:24:56.545+05:302013-02-03T23:24:56.545+05:30भाई देवेन्द्र पाठक मेरे अग्रज हैं,इनका अपना एक निर...भाई देवेन्द्र पाठक मेरे अग्रज हैं,इनका अपना एक निराला अंदाज है, जीने का<br />बिलकुल मौलिक, सहज, सरल----इनका यही अंदाज इनकी सभी रचनाओं में<br />मिलता है----इनका कहन,प्रतीक,बिम्ब और शिल्प तो अपने आप में अनूठा<br />होता है--------<br />सार्थक,सुंदर और गहन अर्थपूर्ण गीतों के लिये बधाई<br />अवनीश भाई का आभार Jyoti kharehttps://www.blogger.com/profile/02842512464516567466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-40190924262424456742013-02-03T10:34:03.180+05:302013-02-03T10:34:03.180+05:30हाथों को हल
पैरों को कर पहिया
चल बस, चलता चल
धर...हाथों को हल <br />पैरों को कर पहिया <br />चल बस, चलता चल <br />धरती के-पन्ने पन्ने पर .........<br /><br />निःश्वासों में खून खांसती <br />दीर्घ दुराशायें खांसी-सी <br />जीना मानो जुर्म हो गया <br />लगे जिन्दगी गलफांसी-सी <br /><br />क्यों होते हैं पुनर्परीक्षित<br />मिथक आज भगवानों के..<br /><br />SABHI NAV GEET BAHUT SUNDAR BHAVON SE SAJEY ....BADHAAI RACHNAAKAR KO .!!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16376613957632735653noreply@blogger.com