tag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post6633844611345111270..comments2024-03-27T12:30:05.562+05:30Comments on Poorvabhas: दिनेश सिंह और उनके पाँच नवगीत — अवनीश सिंह चौहानअवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttp://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-49365323364614326262015-07-06T15:18:27.498+05:302015-07-06T15:18:27.498+05:30डॉ श्याम गुप्ता जी, नमस्कार। किन्तु आप नमस्कार का ...डॉ श्याम गुप्ता जी, नमस्कार। किन्तु आप नमस्कार का अर्थ भी समझ पाएंगे कि नहीं, पता नहीं। क्या अब भी आपका इलाज आगरा से चल रहा है? - डॉ विनय Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-13646489156858795632012-08-04T09:11:56.091+05:302012-08-04T09:11:56.091+05:30भाव व कथ्य की अस्पष्टता सभी नवगीतों का मूल शब्द-भा...भाव व कथ्य की अस्पष्टता सभी नवगीतों का मूल शब्द-भाव है ... इस प्रकार के नव-गीतों व रचनाओं ने ही जन-सामान्य को कविता से दूर किया .... ये जन सामान्य की बातें तो कहती हैं परन्तु उसी जन सामान्य की समझ से परे होती हैं ....पहेलियों की भांति ...आजा के इब्र चाल के जमाने में पहेलियाँ बुझाने का समय किस के पास है ...इसे कवियों को ...कविताओं को ..प्रश्रय के कारण ...साहित्य हाशिए पर चलता गया....<br />---यदि कविता सीधे सीधे अभिधात्मक-भाव में होगी तो जन सामान्य की समझ में आये और उसे पढ़ा जाए... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-42307908102582363092012-07-09T19:47:39.131+05:302012-07-09T19:47:39.131+05:30आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १०/७/...आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १०/७/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आप सादर आमंत्रित हैं |Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.com