tag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post8310015069401177431..comments2024-03-27T12:30:05.562+05:30Comments on Poorvabhas: जगदीश 'व्योम' और उनके चार नवगीत — अवनीश सिंह चौहानअवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttp://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-91420121607110259542012-04-09T12:36:08.092+05:302012-04-09T12:36:08.092+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.संध्या सिंहhttps://www.blogger.com/profile/11549759811338829461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-91879495899671652642012-04-09T06:44:44.215+05:302012-04-09T06:44:44.215+05:30डा व्योम जी के चार नवगीत बार बार पढ़े जिनमें समाज त...डा व्योम जी के चार नवगीत बार बार पढ़े जिनमें समाज तथा राजनीती के साथ साथ जीवन मूल्यों में होने वाले ह्रास की और संकेत किया गया है | पाठक रचना का आनंद लेते हुए भी चिंतन और मनन की स्थिति से गुजरता है जिसमें भविष्य के प्रति चिंता की भावना जागृत होती है | जागरूकता के साथ साथ प्रेरणा प्रदान करने वाली इन रचनायों के लिए व्योम जी का धन्यवाद तथा अवनीश जी का आभार |शशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-25331442854016271402012-04-08T00:16:32.144+05:302012-04-08T00:16:32.144+05:30डॉ. व्योम ऐसे रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम ल...डॉ. व्योम ऐसे रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम लिखते हैं। लेकिन वे जब भी लिखते हैं तब उनकी रचना एक सिद्धहस्त वरिष्ठ लेखक की रचना की तरह परिपक्व आकार लेती है। यहाँ प्रस्तुत उनकी रचनाओं में उनकी यह बानगी देखी जा सकती है। कथ्य और शिल्प के अतिरिक्त उनकी रचनाओं में अंतर्कथाएँ, संदर्भ और यथार्थ को रचने के तेवर देखने योग्य होते हैं। रचनाकार और प्रकाशक दोनों को बधाई !!पूर्णिमा वर्मनhttps://www.blogger.com/profile/06102801846090336855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-11356651433566141262012-04-07T20:19:56.674+05:302012-04-07T20:19:56.674+05:30चारो नवगीत पढ़े .. कुछ पल तक अंतर्मन में सचमुच अनह...चारो नवगीत पढ़े .. कुछ पल तक अंतर्मन में सचमुच अनहद ही गूंजता रह। वयवस्था के निरन्तर पतन से उपजे नैराश्य एवं चिन्ताओं को कवि मन प्रत्येक छन्द में पाठक की आत्मा को नैसर्गिक लय के साथ बांधते हुये लोक सरोकारों के प्रति ध्यानाकर्षित करता है। एक आह्वान .. भी <br />सभी गीत काव्यशिल्प की अभिनव पाठशाला भी हैं एवं प्रेरणा भी - नमन काव्यशिल्प एवं कथ्य को।<br /><br />चारो गीतों से उल्लेखनीय अंतरे प्रस्तुत हैं <br />..<br />कदम-कदम पर की है मक्कारी<br />कोई अनहद उठे<br />कहीं से, हो ऐसा संयोग<br />..<br /><br />बलिदानी रोते हैं जब-तब<br />देख-देख अरमानों के शव<br />मरघट की वादियां<br />खोजने लगीं<br />सुबह की धूप<br />न जाने क्या होगा<br />..<br /><br />धारा के प्रतिकूल चले हम<br />जिद्दीपन पाया<br />ऋतु वसंत में नहीं<br />ताप में पुलक उठी काया<br />चमक-दमक से दूर<br />हमारी बस्ती है निर्जन<br />हम पलाश के वन ।<br />..<br />हमने निज हाथों से युग–<br />पतवार जिन्हें पकड़ाई<br />वे शोषक हो गए<br />हुए हम चिर शोषित तरुणाई<br />'शोषण' दुर्ग हुआ अलबत्ता–<br />तोड़ो जीर्ण कंगूरे<br />सपने कैसे होंगे पूरे ।<br />..<br />मिला भेड़ियों को भेड़ों की<br />अधिरक्षा का ठेका<br />जिन सफ़ेदपोशों को मैंने<br />देश निगलते देखा<br />स्वाभिमान को बेच, उन्हें<br />मैं कब तक नमन करूँ रे<br />सपने कैसे होंगे पूरे ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09417713009963981665noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-85768819761620949562012-04-06T23:06:54.517+05:302012-04-06T23:06:54.517+05:30मन को छूते सभी नवगीत सुंदर हैं।
Dr Saraswati Ma...मन को छूते सभी नवगीत सुंदर हैं।<br />Dr Saraswati MathurSaraswatinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-56289037700342160222012-04-06T22:06:26.837+05:302012-04-06T22:06:26.837+05:30प्रतिक्रिया के लिए आभार कल्पना जीप्रतिक्रिया के लिए आभार कल्पना जी डॅा. व्योमhttps://www.blogger.com/profile/10667912738409199754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-221407052691979312012-04-06T20:31:52.433+05:302012-04-06T20:31:52.433+05:30मन को गहराई तक छूते हुए सभी नवगीत हर दृष्टि से अति...मन को गहराई तक छूते हुए सभी नवगीत हर दृष्टि से अति सुंदर हैं।कल्पना रामानीhttps://www.blogger.com/profile/17587173871439989311noreply@blogger.com