tag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post8568981343167979293..comments2024-03-27T12:30:05.562+05:30Comments on Poorvabhas: सुशील कुमार और उनकी सात कविताएँ — अवनीश सिंह चौहानअवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttp://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-22406599091696294052013-08-05T14:03:16.074+05:302013-08-05T14:03:16.074+05:30एक सांस में पढी ये कविताएँ....सोचने को विवश करती ह...एक सांस में पढी ये कविताएँ....सोचने को विवश करती हैं, सार्थक हैं.परमेश्वर फुंकवालhttps://www.blogger.com/profile/18058899414187559582noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-16151677841742448952013-07-28T22:51:27.485+05:302013-07-28T22:51:27.485+05:30एक से बढ़कर एक !एक से बढ़कर एक !सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-17824738369862248552013-07-27T21:31:30.372+05:302013-07-27T21:31:30.372+05:30प्रभावशाली कवितायेँ!
प्रभावशाली कवितायेँ!<br />अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-33709931854115811572013-07-27T16:46:15.748+05:302013-07-27T16:46:15.748+05:30कई बार लगा
मैनें लाँघ दी सीमाएँ
कई बार लगा
हैसिय...कई बार लगा <br />मैनें लाँघ दी सीमाएँ<br /><br />कई बार लगा<br />हैसियत से ज्यादा बोल गया<br /><br />कई बार लगा<br />मैं दायरों से बाहर निकल रहा हूँ<br /><br />कई बार लगा<br />मैं खडा हूँ वहीं <br />और दायरे मुझसे बाहर निकल रहे हैं । <br /><br /><br /><br />तमाम मजबूरियों के बावजूद<br />मैं कारोबारी हो रहा हूँ। <br /><br />कवितायेँ सातों एक से बढ़कर एक...<br />तीसरी और सातवीं तो ...आते जाते ,बदलते जीवन का रूप है ...बहुत सुन्दर...और बहुत बधाई वसुन्धरा पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/12807783136209273289noreply@blogger.com