tag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post8822693394659297970..comments2024-03-27T12:30:05.562+05:30Comments on Poorvabhas: रमाकांत और उनकी नौ ग़ज़लें – अवनीश सिंह चौहानअवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttp://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-41528430153648807832016-04-22T21:11:30.060+05:302016-04-22T21:11:30.060+05:30हर ग़ज़ल में ग़ज़ल का लहजा, बहुत अच्छा चुनाव! अन्यथा आ...हर ग़ज़ल में ग़ज़ल का लहजा, बहुत अच्छा चुनाव! अन्यथा आजकल सपाटबयानी को ग़ज़ल मान लिया गया है! रमाकांत जी और अवनीश जी, दोनों को बधाई!<br />राजेंद्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/05155552913400214532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-42578924443696473902016-04-21T21:23:23.672+05:302016-04-21T21:23:23.672+05:30बहुत उम्दा बहुत उम्दा रश्मि शर्माhttps://www.blogger.com/profile/04434992559047189301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-89092785230185396882016-04-21T07:05:25.910+05:302016-04-21T07:05:25.910+05:30रमाकान्त जी वाकई बहुत उम्दा शायर हैं। इतनी खूबसूरत...रमाकान्त जी वाकई बहुत उम्दा शायर हैं। इतनी खूबसूरत सटीक गज़लें पढवाने का धन्यवाद।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2283537905508347887.post-75141908985206356552016-04-20T14:48:26.857+05:302016-04-20T14:48:26.857+05:30सुन्दर ग़ज़लों का चयन करके प्रस्तुति के लिए
अवनीश ...सुन्दर ग़ज़लों का चयन करके प्रस्तुति के लिए <br />अवनीश चौहान जी को धन्यवाद !<br /><br />ज़िन्दगी मौत से क्यों परेशान है <br />मौत है ही नहीं, है अगर ज़िन्दगी। <br />***<br />''हमारे मुल्क में अब भी बहुत से लोग ऐसे हैं <br />पता अब नहीं जिनको कि होती है ख़ुशी कैसी ''<br />***<br />किसी भी जाति -मज़हब से न कुछ लेना न कुछ देना <br />बने सब आदमी उस प्रेम की तासीर हो जाओ <br />***<br />रिश्ते हैं लेने-देने के, वर्ना हैं झूठे रिश्ते <br />वह क्यों आज अकेला है जो रिश्ते ख़ूब निभाता था।<br />***<br /> नेता है बकवास करेगा <br />उसका कुछ ईमान नहीं है।<br />***<br />ओढ़ ली हर तरफ़ से बेशर्मी <br />अब सियासत में उसको आने दे। <br />***<br />तोड़ दो सिलसिला रिवायत का <br />फिर जो होगा वो सिलसिला होगा।<br />***<br />बहुत-बहुत बधाई रमाकांत जी , नव्यतम ग़ज़ल-संग्रह के प्रकाशन के लिए <br />तथा इस पटल पर मनोरम प्रस्तुति के लिए !<br />-जगदीश पंकज जगदीश पंकजhttps://www.blogger.com/profile/10707282603931469979noreply@blogger.com