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शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

व्यावसायिक पाठ्यक्रम : समय की माँग — अवनीश सिंह चौहान


आर्थिक एवं अन्य संसाधनों की आपूर्ति में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। वर्तमान युग में दिन-प्रति-दिन संसाधनों का आकार-प्रकार बदलता जा रहा है। इन बदलावों के चलते शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत-से परिवर्तन हुए हैं, जिससे सामान्य पाठ्यक्रमों से हटकर जहाँ व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की आवश्यकता बढ़ती जा रही है, वहीं इस वर्तमान तकनीकी युग में मनुष्य को धन से सम्बंधित कार्यों का व्यवस्थित और सटीक ज्ञान होना भी आवश्यक होता जा रहा है। तदनुरूप आज ऐसे पाठ्यक्रम व्यापक रूप से शिक्षा जगत में उपलब्ध हैं, जिनको कर लेने से शिक्षार्थियों में प्रबंधन, वाणिज्य और कम्प्यूटिंग स्किल्स का स्वाभाविक विकास तो होता ही है, उनमें मार्केट ट्रेंड्स और डेवलपमेंट्स के साथ कम्प्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली की समझ भी बनती है। इतना ही नहीं ये व्यावसायिक पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को मार्केट की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता भी प्रदान करते हैं। 

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षा का उद्देश्य है कि शिक्षार्थियों में योग्यता का इस प्रकार से विस्तार हो कि वे नये ज्ञान को प्राप्त करते हुए व्यवसायिक कुशलता भी हासिल कर सकें। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण जरूरी है। वर्तमान में छात्रों को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के पठन-पाठन एवं इनके महत्व को समझना परम आवश्यक है। शायद इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में इन पाठ्यक्रमों को इस प्रकार से विकसित किया जा रहा है जिससे विद्यार्थियों में जहाँ बौद्धिक, शारीरिक, सामाजिक तथा रचनात्मक शक्तियों का विकास हो, वहीं उन्हें विभिन्न प्रकार के व्यवसायों को अपनाने में किसी प्रकार की कोई कठिनाई न हो और वे अपनी अभिरुचि एवं कार्य-दक्षता के अनुसार उचित व्यवसायों को चुन सकें। इन पाठ्यक्रमों से आधुनिक समाज को विभिन्न व्यवसायों के लिए योग्य एवं कुशल मानव संसाधन प्राप्त हों सकेंगे और वे देश में समृद्धि एवं खुशहाली लाने में भी सहायक बनेंगे। 

इस प्रतियोगी समय में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्रों के तमाम दरवाजे खुले हैं और भारत के कई संस्थानों में इन पाठ्यक्रमों का विधिवत पठन-पाठन किया जा रहा है। इन व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को सफलतापूर्वक कर लेने वाले अभ्यर्थियों के लिए विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थानों में ढेरों नौकरियाँ उपलब्ध हैं। स्किल और टैलेंट के साथ अनुभव बढ़ने पर डिग्रीधारी छात्र-छात्राओं को इन संस्थानों में उच्च पद भी प्राप्त हो सकते हैं।

ऐसे ही महत्वपूर्ण व्यावसायिक पाठ्यक्रम हैं— 'बैचलर ऑफ़ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन', बैचलर ऑफ़ कम्प्यूटर एप्लीकेशन, बैचलर ऑफ़ कॉमर्स, बैचलर ऑफ़ कॉमर्स (ऑनर्स), बैचलर ऑफ़ साइंस (कम्प्यूटर साइंस), बैचलर ऑफ़ साइंस (एनीमेशन) आदि। बीबीए, बीसीए, बीकॉम, बीकॉम (ऑनर्स), बीएससी (सीएस) या बीएससी (एनीमेशन) की डिग्री प्राप्त करने के उपरांत विद्यार्थियों के समक्ष कई पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम करने के विकल्प भी होते हैं। वे अपनी रुचि, क्षमता और लक्ष्य के अनुसार पोस्ट ग्रेजुएशन लेवल पर निम्नलिखित पाठ्यक्रम कर सकते हैं— 'मास्टर ऑफ़ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन' (एमबीए), 'पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट' (पीजीडीएम), 'मास्टर ऑफ़ कम्प्यूटर एप्लीकेशन' (एमसीए), 'मास्टर ऑफ़ कॉमर्स' (एमकॉम), 'मास्टर ऑफ़ साइंस - कम्प्यूटर साइंस' (एमएससी- कम्प्यूटर साइंस), मास्टर ऑफ़ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन (एमएचए), 'मास्टर इन पब्लिक हेल्थ' (एमपीएच) आदि; जबकि पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद नेट, जेआरएफ, पीएचडी आदि का विकल्प भी खुला हुआ है।

इन व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के द्वारा शिक्षार्थियों को बिजिनेस स्किल्स, एडमिनिस्ट्रेटिव स्किल्स, कमर्शियल स्किल्स, टैक्सेशन स्किल्स, फाइनेंस स्किल्स, कम्प्यूटिंग स्किल्स के साथ-साथ कम्युनिकेशन स्किल्स, सॉफ्ट स्किल्स, प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स और डिसीजन मेकिंग स्किल्स को सीखने का अवसर मिलता है। इन स्किल्स का ज्ञान होने से वे अपने कार्यक्षेत्र में आसानी से सफलता प्राप्त कर सकते हैं और राष्ट्र-निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान भी दे सकते हैं।


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