पूर्वाभास (www.poorvabhas.in) पर आपका हार्दिक स्वागत है। 11 अक्टूबर 2010 को वरद चतुर्थी/ ललित पंचमी की पावन तिथि पर साहित्य, कला एवं संस्कृति की पत्रिका— पूर्वाभास की यात्रा इंटरनेट पर प्रारम्भ हुई थी। 2012 में पूर्वाभास को मिशीगन-अमेरिका स्थित 'द थिंक क्लब' द्वारा 'बुक ऑफ़ द यीअर अवार्ड' प्रदान किया गया। इस हेतु सुधी पाठकों और साथी रचनाकारों का ह्रदय से आभार।

बुधवार, 15 मई 2024

पत्रिकारिता के बढ़ते कदम — अवनीश सिंह चौहान


आज के दौर में सूचना एवं प्रचार एक वैश्विक आवश्यकता बनती जा रही है। समाज की प्रत्येक इकाई इससे जुड़कर वर्तमान स्थितियों, आवश्यकताओं व प्रचलित समाधानों की जानकारी रखना चाहती है। इन परिस्थितियों में पत्रकारिता के क्षेत्र में पेशेवर लोगों की आवश्यकता निरंतर बढ़ती चली जा रही है। यद्यपि पत्रकार बनने के लिए विशिष्ट प्रतिभा होनी चाहिए, तथापि इस क्षेत्र में उपलब्ध पाठ्यक्रमों के द्वारा पत्रकारिता के गुर सीखे जा सकते हैं।  

उपलब्ध पाठ्यक्रम 

भारत के कई संस्थानों में पत्रकारिता से सम्बंधित डिप्लोमा, स्नातक एवं परास्नातक स्तर के कई पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। बारहवीं पास विद्यार्थी किसी संस्थान से पत्रकारिता में छः माह या एक वर्ष का डिप्लोमा तथा तीन वर्ष का स्नातक कोर्स कर सकता है। पत्रकारिता में स्नातक स्तर के तीन वर्षीय — 'बी.ए. इन जर्नलिज्म', 'बी.ए. इन मास कम्यूनिकेशन' एवं 'बी.ए. इन जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन' उपलब्ध हैं। स्नातक के बाद भी पत्रकारिता क्षेत्र में परास्नातक स्तर के दो वर्षीय पाठ्यक्रम— 'एम.ए. इन जर्नलिज्म', 'एम.ए. इन मास कम्युनिकेशन' व 'एम.ए. इन जर्नलिज्म एन्ड मास कम्युनिकेशन' किया जा सकता है। मास कम्युनिकेशन एवं जर्नलिज़्म में परास्नातक स्तर पर डिग्री कोर्स करने के बाद पीएचडी की जा सकती है। 

प्रमुख संस्थान

वर्तमान में कम्युनिकेशन एवं जर्नलिज़्म के पाठ्यक्रम अनेक संस्थानों में उपलब्ध हैं। पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए प्रमुख संस्थानों की श्रेणी में आने वाले कुछ संस्थानों में — भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता व संचार विश्वविद्यालय, भोपाल, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन, पुणे, बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, बरेली आदि शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। 

पाठ्यक्रम संरचना 

उपर्युक्त पाठ्यक्रमों में शिक्षार्थियों को प्रिंट मीडिया, इलेट्रॉनिक मीडिया, मीडिया एवं जनसंपर्क, सांस्कृतिक अध्ययन, विज्ञापन, साक्षात्कार, अर्थव्यवस्था, विश्व व्यापार, भाषा विज्ञान, अनुवाद, कम्युनिकेशन रिसर्च, फोटोग्राफी, ग्राफिक्स और डिजाइन, न्यू मीडिया, मीडिया लेखन, सिनेमा आदि विषयों का गहन अध्ययन तो कराया जाता ही है, इनका प्रायोगिक ज्ञान भी प्रदान किया जाता है। शिक्षार्थियों को व्यावहारिक अनुभव के लिए समय-समय पर 'इंटर्नशिप' करायी जाती है और शोध आदि से संबंधित बारीकियों से भी अवगत कराया जाता है।  

अध्ययन-क्षेत्र

नए परिदृश्य में युवाओं की अभिरुचि पत्रकारिता में उभरते अध्ययन क्षेत्रों की ओर बढ़ी है। पत्रकारिता के विविध क्षेत्र/ रूप— आर्थिक पत्रकारिता, राजनीतिक पत्रकारिता, आध्यात्मिक पत्रकारिता, खोजी पत्रकारिता, खेल पत्रकारिता, मनोरंजन पत्रकारिता, महिला पत्रकारिता, बाल-पत्रकारिता, ग्रामीण पत्रकारिता, शहरी पत्रकारिता, कृषि पत्रकारिता, फोटो पत्रकारिता, विधि पत्रकारिता, अंतरिक्ष पत्रकारिता, चित्रपट पत्रकारिता, साहित्यिक पत्रकारिता आदि इस विधा को व्यापक क्षेत्र प्रदान करते हैं। व्यक्ति अपनी अभिरुचि के अनुसार सुनिश्चित कर सकता है कि वह किस क्षेत्र में पत्रकारिता करना चाहता है।

पत्रिकारिता का स्कोप 

आय, पद, प्रतिष्ठा एवं सम्मान की दृष्टि से पत्रकारिता (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं ऑनलाइन) एक लोकप्रिय करियर के रूप में उभरी है। पत्रिकारिता की बढ़ती आवश्यकता तथा लोकप्रियता सार्थक एवं सुनहरे भविष्य की ओर संकेत कर रही है। इसलिए युवाओं के लिए यह क्षेत्र रोजगार के विस्तृत अवसर प्रदान करने वाला सिद्ध हो रहा है। 


Journalism and Mass Communication in the Present Era

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