पूर्वाभास (www.poorvabhas.in) पर आपका हार्दिक स्वागत है। 11 अक्टूबर 2010 को वरद चतुर्थी/ ललित पंचमी की पावन तिथि पर साहित्य, कला एवं संस्कृति की पत्रिका— पूर्वाभास की यात्रा इंटरनेट पर प्रारम्भ हुई थी। 2012 में पूर्वाभास को मिशीगन-अमेरिका स्थित 'द थिंक क्लब' द्वारा 'बुक ऑफ़ द यीअर अवार्ड' प्रदान किया गया। इस हेतु सुधी पाठकों और साथी रचनाकारों का ह्रदय से आभार।

रविवार, 6 मार्च 2011

एक लघुकथा - अवनीश सिंह चौहान


चित्र गूगल से साभार 
इस्तीफ़ा 

एक निजी महाविद्यालय में क्लास टेस्ट चल रहे थे. परीक्षा-कक्षों में छात्र-छात्राएं परेशान हो रहे थे, कुछ तो चीख-चिल्ला भी रहे थे वहां की अव्यवस्था को देखकर. एक तो इनको समय से प्रश्नपत्र नहीं मिला था और यह कि जो मिला भी था वह अगले दिन के लिए निर्धारित था. 

महाविद्यालय के प्राचार्य ने परीक्षा प्रभारी को बुलाकर डाटना प्रारंभ कर दिया और उस पर इस्तीफ़ा देने के लिए दबाव बनाया. स्वाभिमानी परीक्षा प्रभारी ने तुरंत इस्तीफ़ा दे दिया. जाने से पूर्व उसने प्राचार्य से जानना चाहा कि उसका दोष क्या है. प्राचार्य ने परीक्षा संबंधी अव्यवस्था का आरोप लगाया. तब उसने विनम्रतापूर्वक कह दिया- 

"परीक्षा में प्रश्नपत्र वितरण का सम्पूर्ण कार्य आपने अपनी पी.ए. मिस प्रभा को सौंप रखा है, सो मैं दोषी कैसे हो गया ?; और यदि मैं दोषी हूं भी तो मिस प्रभा क्यों नहीं? 

मिस प्रभा का नाम सुनते ही प्राचार्य झल्ला पड़े- "डोंट टॉक अबाउट मिस प्रभा, डू योर वर्क एंड गो आउट". और हाँ, अपना कार्यभार मिस प्रभा को सोंप दें. 

आदेश का अनुपालन कर परीक्षा प्रभारी आवेश में बाहर चला गया. महाविद्यालय में इस सन्दर्भ में चर्चाएँ होतीं रहीं परन्तु किसी ने प्राचार्य से कुछ भी नहीं कहा...

12 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसा होता है अक्सर ... ख़ास कर प्राइवेट जगहों पर ... अच्छी लघु कथा है ...

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर लघुकथा के लिए चौहान साहब आपको बधाई |

    जवाब देंहटाएं
  3. किसी ने प्राचार्य से कुछ भी नहीं कहा...

    अकसर लोग कुछ नहीं कहते हैं...यही तो विडम्बना है।
    इस विचारोत्तेजक लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  4. मन को कहीं भीतर से आंदोलित करती हुई
    बहुत अच्छी कथा ....
    संवाद रूप में शिल्प , प्रभावशाली बन पडा है .

    जवाब देंहटाएं
  5. यथा स्थिति का सही विवरण है। हर तरफ मनमानी। अच्छी लघुकथा है।

    जवाब देंहटाएं
  6. इसे कहते हैं अराजकता । यही हो रहा है सब तरफ ।

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर, सार्थक और वास्तविक पृष्ठभूमि की लघुकथा.

    जवाब देंहटाएं
  8. bahut achchhi kathaa hai...

    antim pankti kuchh kam jaroori si lag rahi hai sir...

    naukari mein aisaa khoob hotaa dekhaa gayaa hai....

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन लघुकथा के लिए आपको बधाई |

    जवाब देंहटाएं
  10. कहानी बड़ी रोचक है , ऐसा लग रहा है जैसे यह वास्तविकता को व्यक्त कर रही हो ,
    एक कटाक्ष है , वर्त्तमान व्यवस्था पर .

    जवाब देंहटाएं

आपकी प्रतिक्रियाएँ हमारा संबल: