पूर्वाभास (www.poorvabhas.in) पर आपका हार्दिक स्वागत है। 11 अक्टूबर 2010 को वरद चतुर्थी/ ललित पंचमी की पावन तिथि पर साहित्य, कला एवं संस्कृति की पत्रिका— पूर्वाभास की यात्रा इंटरनेट पर प्रारम्भ हुई थी। 2012 में पूर्वाभास को मिशीगन-अमेरिका स्थित 'द थिंक क्लब' द्वारा 'बुक ऑफ़ द यीअर अवार्ड' प्रदान किया गया। इस हेतु सुधी पाठकों और साथी रचनाकारों का ह्रदय से आभार।

गुरुवार, 27 मार्च 2014

सृजन सम्मान एवं काव्य समारोह : कवियों से मिलिए



मुरादाबाद : श्री सत्य कॉलेज ऑफ हायर एजूकेशन, मुरादाबाद (उ प्र) 29 मार्च 2014 (अपराह्न 2 : 00 बजे) को 'सृजन सम्मान एवं काव्य समारोह' का आयोजन करने जा रहा है, जिसमें आमंत्रित कवियों को सम्मानित किया जायेगा और काव्य पाठ होगा। 

इस कार्यक्रम में श्रद्धेय डॉ धनञ्जय सिंह (ग़ाज़ियाबाद) को 'बंशी और मादल पुरस्कार'श्रद्धेय डॉ बुद्धिनाथ मिश्र (देहरादून) को 'राघव राग पुरस्कार'श्रद्धेय श्री वीरेंद्र आस्तिक (कानपुर) को 'गीतांगिनी पुरस्कार'श्रद्धेय श्री निर्मल शुक्ल (लखनऊ) को 'गीतम पुरस्कार'श्रद्धेय श्री कमलेश भट्ट 'कमल' (बरेली) को 'भ्रमर पुरस्कार'श्रद्धेय श्री राकेश चक्र (मुरादाबाद) को 'शिंजनी पुरस्कार'श्रद्धेय डॉ जगदीश व्योम (दिल्ली) को 'गीत विहग पुरस्कार', अग्रज श्री रमाकांत (रायबरेली) को 'ढाई आखर पुरस्कार' एवं डॉ अवनीश सिंह चौहान को 'दिवालोक पुरस्कार' से अलंकृत किया जाएगा। इसमें सम्मानित कवि को रु 2100/- पुरस्कार राशि के रूप प्रदान किये जाने का प्रावधान है। 

बंशी और मादल पुरस्कार

'बंशी और मादल पुरस्कार' श्रद्धेय डॉ धनञ्जय सिंह जी (ग़ाज़ियाबाद) को प्रदान किया जाएगा। जाने-माने कवि, संपादक, लेखक डॉ सिंह (जन्म 29 अक्टूबर 1945) ने हिन्दी में एम ए करने के बाद 'महाभारत के उपजीव्य : आधुनिक खंडकाव्यों में पौराणिक सन्दर्भ एवं आधुनिक चेतना' शोध विषय पर पीएच. डी की उपाधि प्राप्त की। आपका काव्य संग्रह 'पलाश दहके हैं' काफी चर्चित रहा है। आपने 20 काव्य संकलन, 2 कहानी संग्रह, 1 जीवनी का विधिवत सम्पादन किया एवं देहरादून से प्रकाशित पत्रिका 'सरस्वती सुमन' का 'गीत विशेषांक' के अतिथि संपादक रहे। आपकी कई रचनाओं का आकाशवाणी और दूरदर्शन पर प्रसारण हो चुका है। आपने फिल्म 'अंतहीन' हेतु गीत लिखे और डॉक्यूमेंट्री 'चलो गाँव की और' की पटकथा लेखन भी किया। आपको उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ से 'साहित्य भूषण सम्मान' प्रदान किया जा चुका है। मुख्य कॉपी सम्पादक (कादम्बनी पत्रिका) से सेवानिवृत्ति के बाद वर्तमान में आप स्वतन्त्र लेखन कर रहे हैं।

'बंशी और मादल पुरस्कार' ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व ठाकुर प्रसाद सिंह जी की स्मृति में दिया जायेगा। हिन्दी में नवगीत के एक प्रमुख प्रवर्तक कवि ठाकुर प्रसाद सिंह जी का जन्म 01 दिसम्बर 1924 को ईश्वरगंगी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ। इन्होंने हिन्दी तथा प्राचीन भारतीय इतिहास व पुरातत्व में उच्च शिक्षा प्राप्त की। कई वर्षों तक अध्यापन और पत्रकारिता के बाद आप उत्तरप्रदेश के सूचना विभाग में चले गए और वहाँ निदेशक रहे। आपने कई नाटक तथा उपन्यास भी लिखे। आपने बरसों तक 'ग्राम्या' साप्ताहिक और 'उत्तर प्रदेश' मासिक का सम्पादन किया। प्रमुख कृतियाँ : वंशी और मादल (नवगीत संग्रह) 1959, महामानव (प्रबन्धकाव्य) 1946, हारी हुई लड़ाई लड़ते हुए (कविता-संग्रह) 1988 । निधन : अक्तूबर 1994। 

राघव राग पुरस्कार

'राघव राग पुरस्कार' श्रद्धेय डॉ बुद्धिनाथ मिश्र (देहरादून) को प्रदान किया जाएगा। हिन्दी और मैथली के लाड़ले कवि डॉ बुद्धिनाथ मिश्र का जन्म 01 मई, 1949 को मिथिलांचल में समस्तीपुर(बिहार) के देवधा गाँव में हुआ। शिक्षा: (अंग्रेज़ी), एम.ए.(हिन्दी), ‘यथार्थवाद और हिन्दी नवगीत’ शोध विषय पर पी.एच.डी. की उपाधि। 1969 से आकाशवाणी और दूरदर्शन के कई केन्द्रों पर काव्यपाठ, वार्ता, संगीत रूपकों का प्रसारण। बीबीसी, रेडियो मास्को आदि से भी काव्यपाठ, भेंटवार्ता प्रसारित। दूरदर्शन के राष्ट्रीय धारावाहिक ‘क्यों और कैसे?’ का पटकथा लेखन। वीनस कम्पनी से ‘काव्यमाला’ और ‘जाल फेंक रे मछेरे’ कैसेट, मैथिली संस्कार गीतों के दो ई.पी. रिकार्ड और संगीतबद्ध गीतों का कैसेट ‘अनन्या’। ‘जाल फेंक रे मछेरे’ ‘शिखरिणी’ ‘जाड़े में पहाड़’ और 'ऋतुराज एक पल का' आपके अब तक प्रकाशित नवगीत संग्रह हैं। ‘अक्षत’ पत्रिका और ‘खबर इंडिया’ ई-पत्रिका में आपके कर्तृत्व पर केन्द्रित विशेषांक और ‘बुद्धिनाथ मिश्र की रचनाधर्मिता’ (सम्पादक : डॉ. अवनीश चौहान) पुस्तक प्रकाशित। आप रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, नीदरलैंड, जापान, मारिशस, उज़बेकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड, सिंगापुर,यूएई आदि देशों की साहित्यिक यात्रा कर चुके डॉ मिश्र ने न्यूयार्क और जोहान्सबर्ग विश्व हिन्दी सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। अन्तरराष्ट्रीय पूश्किन सम्मान एवं उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ से 'साहित्य भूषण सम्मान' सहित कई अन्य सम्मानों से अलंकृत। ओएनजीसी में निदेशक (राजभाषा) के पद से सेवानिवृत्त डॉ मिश्र ‘प्रभात वार्ता’ दैनिक में ‘साप्ताहिक कोना’, ‘सद्भावना दर्पण’ में ‘पुरैन पात’ और ‘सृजनगाथाडॉटकॉम’ पर ‘जाग मछन्दर गोरख आया’ स्तम्भ लेखन कर रहे हैं। 

'राघव राग पुरस्कार' ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व उमाकांत मालवीय जी की स्मृति में दिया जायेगा। उमाकांत मालवीय जी का जन्म 02 अगस्त 1931 को मुम्बई में हुआ था। शिक्षा प्रयाग विश्वविद्यालय में हुई। इन्होंने कविता के अतिरिक्त खण्डकाव्य, निबंध तथा बालोपयोगी पुस्तकें भी लिखी हैं। काव्य-क्षेत्र में मालवीय जी ने नवगीत विधा को अपनाया। प्रकाशित कृतियाँ : मेंहदी और महावर, एक चावल नेह रींधा, सुबह रक्त पलाश की, रक्तपथ (सभी नवगीत-संग्रह), देवकी, रक्तपथ (सभी कविता संग्रह), राघवराग (रामायण के पात्रों पर केंद्रित काव्य संग्रह)। निधन: 11 नवम्बर 1982 ।

गीतांगिनी पुरस्कार

'गीतांगिनी पुरस्कार' श्रद्धेय श्री वीरेंद्र आस्तिक (कानपुर) को प्रदान किया जाएगा। चर्चित कवि, सम्पादक एवं आलोचक वीरेंद्र आस्तिक जी का जन्म 15 जुलाई 1947 को कानपुर (उ.प्र.) के एक गाँव रूरवाहार में हुआ। आपकी पहिला कविता 1971 में 'साप्ताहिक नीतिमान' (जयपुर ) में छपी थी। 1980 में आपका पहला गीत संग्रह 'वीरेंद्र आस्तिक के गीत' नाम से प्रकाशित हुआ। अब तक आपके पांच गीत संग्रह- 'परछाईं के पाँव', 'आनंद! तेरी हार है', 'तारीख़ों के हस्ताक्षर', 'आकाश तो जीने नहीं देता',  'दिन क्या बुरे थे' प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त काव्य समीक्षा के क्षेत्र में भी आप विगत दो दशकों से सक्रिय हैं जिसका सुगठित परिणाम है- धार पर हम (एक और दो) जैसे आपके द्वारा किये गये सम्पादन कार्य। आपकी कृति 'तारीख़ों के हस्ताक्षर' को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ से आर्थिक सहयोग प्रदान किया गया। इसी संस्थान से आपके चर्चित गीत संग्रह 'दिन क्या बुरे थे' को सर्जना पुरस्कार मिला।  आपकी कई रचनाओं का आकाशवाणी और दूरदर्शन पर प्रसारण हो चुका है। 2013 में मासिक पत्रिका संकल्प रथ (भोपाल) ने आपकी रचनाधर्मिता पर एक विशेषांक प्रकाशित किया जोकि काफी चर्चित रहा। भारत संचार निगम लि. से सेवानिवृत्त आस्तिक जी वर्त्तमान में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। 


'गीतांगिनी पुरस्कार' ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व राजेन्द्र प्रसाद सिंह जी की स्मृति में दिया जायेगा। हिन्दी में नवगीत के एक प्रमुख प्रवर्तक कवि स्व राजेन्द्र प्रसाद सिंह जी का जन्म 1930 में मुजफ्फरपुर, बिहार में हुआ। प्रकाशित कृतियां : आओ खुली बयार, भरी सड़क पर, रात आँख मूंदकर जगी है, लाल नील धारा (नवगीत संग्रह), भूमिका, मादिनी, दिग्वधू, सजीवन कहाँ, उजली कसौटी, डायरी के जन्म दिन (कविता संग्रह), अमावस और जुगनू, जुगनू और चांदनी (उपन्यास), सो हीयर आई स्टैंड (अंग्रेजी में अपनी कविताओं का स्वानुवाद), दीप-युद्ध (चीनी कविताओं का अनुवाद)। नवगीत का पहला समवेत संकलन 'गीतांगिनी' का संपादन। निधन : 07 नवंबर 2007। 

गीतम पुरस्कार

'गीतम पुरस्कार' श्रद्धेय श्री निर्मल शुक्ल (लखनऊ) को प्रदान किया जाएगा। अथक हिंदी सेवी निर्मल शुक्ल जी का जन्म 03 फरवरी 1948 को पूरब गाँव, बक्‍शी का तालाब, लखनऊ, उ.प्र. में हुआ। अब तक रही कुँवारी धूप, अब है सुर्ख कनेर, एक और अरण्‍य काल, नील वनों के पार, नहीं कुछ भी असम्भव आपके चर्चित नवगीत संग्रह हैं। आप उत्तरायण पत्रिका का संपादन एवं प्रकाशन कर रहे हैं। आपके द्वारा सम्पादित गीत संकलन 'शब्‍दपदी' और 'शब्दायन' काफी चर्चित रहे। देश के महत्‍वपूर्ण समवेत काव्‍य संकलनों में आपकी रचनाएं संकलित। हिन्‍दी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी-केन्‍द्र, साहित्यिक एवं सांस्‍कृतिक मंचो के माध्‍यम से आपकी अनेक रचनाओं का प्रकाशन एवं प्रसारण। 'अब तक रही कुंवारी धूप' पुस्तक उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ से पुरस्कृत। आप विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, उज्जैन से 'विद्यावाचस्पति उपाधि' सहित कई अन्य सम्मानों से विभूषित किये जा चुके हैं। भारतीय स्‍टेट बैंक से सेवानिवृत्ति के पश्‍चात आप स्‍वतंत्र लेखन कर रहे हैं। 

'गीतम पुरस्कार' ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व वीरेंद्र मिश्र जी की स्मृति में दिया जायेगा। मिश्र जी का जन्म 01 दिसंबर 1927 को मुरैना, म प्र में हुआ। आपकी प्रकाशित कृतियां : गीतम, लेखनी बेला, अविराम चल मधुवंती, झुलसा है छायानट धूप में, धरती गीताम्बरा, शांति गन्धर्व, कांपती बांसुरी, गीत पंचम, चन्दन है माटी मेरे देश की, उत्सव गीतों की लाश पर, मुखरित संवेदन, बरसे रस की फुहारी, वाणी के कलाकार, जलतरंग, अंतराल (सभी गीत संग्रह), तथा 'वीरेंद्र मिश्र की गीत यात्रा (पांच खण्डों में)। सांध्यमित्रा पत्रिका का सम्पादन। निधन : 01 जून, 1995 । 



भ्रमर पुरस्कार

'भ्रमर पुरस्कार' श्रद्धेय श्री कमलेश भट्ट 'कमल' (बरेली) को प्रदान किया जाएगा। साहित्य रत्न कमल जी का जन्म 13 फरवरी 1959 को सुल्तानपुर (उ॰प्र॰) की कादीपुर तहसील के ज़फरपुर नामक गाँव में हुआ। शिक्षा: एम॰एस-सी॰ (साँख्यिकी)। आप ग़ज़ल, कहानी, हाइकु, साक्षात्कार, निबन्ध, समीक्षा एवं बाल-साहित्य आदि विधाओं में लेखन करते हैं। प्रकाशित कृतियाँ : त्रिवेणी एक्सप्रेस (कहानी संग्रह), चिट्ठी आई है (कहानी संग्रह), नखलिस्तान (कहानी संग्रह), सह्याद्रि का संगीत (यात्रा वृतान्त), साक्षात्कार (लघुकथा पर डॉ॰ कमल किशोर गोयनका से बातचीत), मंगल टीका (बाल कहानियाँ), शंख सीपी रेत पानी (ग़ज़ल संग्रह), अजब गजब ( बाल कविताएँ), तुर्रम (बाल उपन्यास), अमलतास (हाइकु संग्रह)।  साथ ही 'आपने शब्द साक्षी' (लघु कथा संकलन), हाइकु - 1989 (हाइकु संकलन), हाइकु-1999 (हाइकु संकलन), हाइकु 2009 (हाइकु संकलन) का संपादन किया। आपको उ॰प्र॰ हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा 'मंगल टीका' एवं 'शंख सीपी रेत पानी' कृतियों पर 20-20 हजार रुपए का नामित पुरस्कार तथा नखलिस्तान के लिए सर्जना पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है । परिवेश सम्मान, आर्य स्मृति साहित्य सम्मान सहित कई अन्य सम्मानों से अलंकृत। वर्त्तमान में आप उ॰प्र॰ के बिक्री कर विभाग में ज्वाइंट कमिश्नर पद पर आसीन हैं

'भ्रमर पुरस्कार' ख्यातिलब्ध साहित्यकार  स्व रवीन्द्र भ्रमर जी की स्मृति में दिया जायेगा। अलीगढ़ विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रोफ़ेसर रहे भ्रमर जी का जन्म 06 जून 1934 को जौनपुर, उत्तरप्रदेश में हुआ। प्रकाशित कृतियाँ : रवीन्द्र भ्रमर के गीत, सोनमछरी मन बसी, धूप दिखाये आरसी, गीत रामायण (सभी गीत संग्रह), कविता- सविता, प्रक्रिया (दोनों कविता-संग्रह)। पद्मावत में लोकतत्व, हिन्दी के आधुनिक कवि, हिन्दी भक्ति साहित्य में लोक-तत्व, छायावाद : एक पुनर्मूल्यांकन, समकालीन हिन्दी कविता, लोक साहित्य की रूप-रेखा, गीतिकाव्य की रचना-प्रक्रिया, नारी की आत्मकथा (सभी आलोचनाएं)। निधन : 28 नवंबर 1998।

शिंजनी पुरस्कार

'शिंजनी पुरस्कार' श्रद्धेय श्री राकेश चक्र (मुरादाबाद) को प्रदान किया जाएगा। सुन्दर विचारों के नायक चक्र जी का जन्म 14 नवम्बर 1955 को ग्राम सजाबाद-ताजपुर, जनपद-अलीगढ़ (उ.प्र.) में हुआ। शिक्षा : स्नातकोत्तर (समाजशास्त्र), एल.एल.बी, एक्यूप्रेशर एवं योग। आप 1973 से लेखन कर रहे हैं और आपकी प्रथम कविता ‘‘जन्म सिद्ध अधिकार है" लखनऊ के स्वतंत्र भारत में प्रकाशित हुई थी। अब तक आपकी लगभग पांच दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आपकी बाल साहित्य पर लिखी कई पुस्तकें कई विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में सम्मलित की जा चुकी हैं। आपकी लघुकथाओं का कश्मीरी और अंग्रेजी भाषा में अनुवाद हो चुका है। प्रकाशित कृतियाँ : अमावस का अंधेरा (लघुकथा-संग्रह), मेरी गजलें मेरा प्यार (गजल-संग्रह), आपका जीवन आपके हाथ, वृक्ष और बीज (लघुकथा-संग्रह), एकता के साथ हम (गीत-संग्रह), राकेश चक्र’ की लघु कथाएँ, आजादी के दीवाने (कथा-संग्रह), कंजूस गोंतालू (बाल उपन्यास-संग्रह), राकेश ’चक्र’ की श्रे’ठ कहानियाँ, उत्तरांचल की लोककथाएँ, आओ भारत नया बनाएँ (गीत-संग्रह), वीर सुभाष, साक्षरता अनमोल रे (गीत-संग्रह), आओ पढ़ लें और पढ़ाएँ (गीत-संग्रह), सपनों को साकार करेंगे (बच्चों के मनोविज्ञान पर श्रे’ठ कृति), माटी हिन्दुस्तान की (गीत-संग्रह), राकेश चक्र’ की एक सौ इक्यावन बाल कवितायें, लट्टू-सी ये धरती घूमे, बाल कवितायें,  धीरे-धीरे गाना बादल (बालगीत-संग्रह), याद करेगा हिन्दुस्तान (बालगीत-संग्रह), पौधे रोपें (बालगीत-संग्रह), मेढ़क लाला चक्र निराला (बालगीत-संग्रह), बालक, सूरज और संसार, पशु-पक्षियों के मनोरंजक बालगीत, भरत का भारत (बालगीत-संग्रह), मात्रृभूमि है वीरों की (बालगीत-संग्रह), मीठी कर लें अपनी बोली (बालगीत-संग्रह), टीवी और बचपन (बालगीत-संग्रह), चाचा कलाम (बालगीत-संग्रह), सात घोड़े (बालगीत-संग्रह), पुच्छल तारे (विज्ञान-लेख), अन्यायी को दण्ड (बालगीत-संग्रह), साक्षरता अनमोल रे (बालगीत-संग्रह), बिच्छू वाला दीवान (बालकथा), रोबोट का आविष्कार (बाल कहानियाँ), वीर शिवाजी (शिशु गीत-संग्रह), ऊँचा देश उठाएँगे (शिशु गीत-संग्रह), था-था- थइया गाएँगे (शिशु गीत-संग्रह), चाचा चक्र के सचगुल्ले (कुण्डलियाँ) आदि। हाल ही में आपकी पुस्तक 'आपका जीवन आपके हाथ' उ प्र हिंदी संस्थान, लखनऊ से पुरस्कृत। आपको उ. प्र. कर्मचारी साहित्य संस्थान, लखनऊ द्वारा सुमित्रानन्दन पंत पुरस्कार (51,000/-) सहित लगभग दो दर्जन पुरस्कार / सम्मान प्रदान किये जा चुके हैं। वर्त्तमान में आप उत्तरप्रदेश पुलिस (अभिसूचना विभाग) में सेवारत हैं। 

'शिंजनी पुरस्कार' ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व डॉ शिवबहादुर सिंह भदौरिया की स्मृति में दिया जायेगा। उ प्र हिन्दी संस्थान से साहित्य भूषण से अलंकृत भदौरिया जी का जन्म 15 जुलाई 1927 को जनपद रायबरेली (उ.प्र.) के एक छोटे से गाँव धन्नीपुर (लालगंज) में हुआ था। 'हिंदी उपन्यास सृजन और प्रक्रिया' पर कानपुर विश्वविद्यालय से पी एच डी की उपाधि। वैसवारा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राचार्य के पद से 1988 में सेवानिवृत। आप 'नवगीत दशक' तथा 'नवगीत अर्द्धशती' के नवगीतकार रहे। आपका प्रथम गीत संग्रह ‘शिजिंनी’ 1953 में प्रकाशित हुआ था। और जब ‘धर्मयुग’ में ‘पुरवा जो डोल गयी’ प्रकाशित हुआ तो इस गीत ने गीत विधा को एक क्रांतिकारी परिवर्तन की दिशा प्रदान की। प्रकाशित कृतियाँ: 'शिन्जनी' (गीत-संग्रह), 'पुरवा जो डोल गई' (गीत-कविता संग्रह), 'ध्रुव स्वामिनी (समीक्षा) ', 'नदी का बहना मुझमें हो' (नवगीत संग्रह), 'लो इतना जो गाया' (नवगीत संग्रह), 'माध्यम और भी' (मुक्तक, हाइकु संग्रह), 'गहरे पानी पैठ' (दोहा संग्रह)। ‘ध्रुवस्वामिनी’ आपका समीक्षात्मक ग्रंथ हैं। ‘राष्ट्रचिंतन’, ‘मानस चन्दन’, ‘ज्योत्सना’ आदि पत्रिकाओं का आपने सम्पादन किया। आप महामहिम राज्यपाल द्वारा जिला परिषद, रायबरेली के नामित सदस्य भी रहे। आपके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केन्द्रित 'राघव राग' पुस्तक प्रकाशित। निधन : 07 अगस्त 2013।

गीत विहग पुरस्कार

'गीत विहग पुरस्कार' श्रद्धेय डॉ जगदीश व्योम जी (दिल्ली) को प्रदान किया जाएगा। व्योम जी का जन्म 01 मई 1960 शंभूनगला¸ फर्रुखाबाद¸ उ .प्र . में हुआ। शिक्षा : एम .ए .हिंदी साहित्य में¸ एम .एड.¸ पीएच .डी. आपने लखनऊ विश्वविद्यालय से 'कनउजी लोकगाथाओं का सर्वेक्षण और विश्लेषण' पर शोध कार्य किया।प्रकाशित कृतियां :  इंद्रधनुष¸ भोर के स्वर (काव्य संग्रह), कन्नौजी लाकोक्ति और मुहावरा कोश, नन्हा बलिदानी¸ डब्बू की डिबिया (बाल उपन्यास), सगुनी का सपना (बाल कहानी संग्रह), आज़ादी के आस–पास¸ कहानियों का कुनबा (संपादित कहानी संग्रह)। आप हाइकु दर्पण और बाल प्रतिबिंब एवं कई वेब पत्रिकाओं/चिट्ठों का सम्पादन कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त देश की तमाम पत्र पत्रिकाओं में आपके शोध लेख¸ कहानी¸ बालकहानी¸ हाइकु¸ नवगीत आदि का अनवरत प्रकाशन। आकाशवाणी दिल्ली¸ मथुरा¸ सूरतगढ़¸ ग्वालियर¸ लखनऊ¸ भोपाल आदि केंद्रों से कविता¸ कहानी¸ वार्ताओं का प्रसारण।  आपकी कृति 'नन्हा बलिदानी' बाल उपन्यास के लिए आपको पांच पुरस्कार प्रदान किये गए। हाल ही में आपको 'निराला सम्मान' (निराला संस्थान, डलमऊ-रायबरेली) से  अलंकृत किया गया। वर्त्तमान में आप दिल्ली प्रशासन के अन्तर्गत शिक्षा विभाग में अधिकारी हैं।

'गीत विहग पुरस्कार' ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व रमेश रंजक की स्मृति में दिया जायेगा। रमेश रंजक जी का जन्म 02 सितंबर 1938 को नदरोई, अलीगढ़, उत्तरप्रदेश, भारत में हुआ। प्रकाशित कृतियाँ : किरण के पाँव, गीत विहग उतरा, हरापन नहीं टूटेगा, मिट्टी बोलती है, इतिहास दुबारा लिखो, रमेश रंजक के लोकगीत, दरिया का पानी, अतल की लय, पतझर में वसंत की छवियाँ (सभी गीत संग्रह), नये गीत का उद्भव (आलोचना)। निधन : 08 अप्रैल 1991

ढाई आखर पुरस्कार

'ढाई आखर पुरस्कार' अग्रज श्री रमाकांत (रायबरेली) को प्रदान किया जाएगा। युवा कवि, सम्पादक रमाकांत जी का जन्म 20 अक्टूबर 1964 को पूरे लाऊ, बरारा बुजुर्ग, जनपद रायबरेली (उ.प्र.) में हुआ।  शिक्षा : एम.ए., एम.फिल. एवं पत्रकारिता में पी.जी डिप्लोमा। प्रकाशित कृतियां : नृत्य में अवसाद' (हाइकु संग्रह),  'सड़क पर गिलहरी' (कविता संग्रह) और 'जो हुआ तुम पर हुआ हम पर हुआ' (नवगीत संग्रह)।  आपने 'जमीन के लोग' (नवगीत), 'वाक़िफ रायबरेलवी: जीवन और रचना' (रचना संचयन), हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ हाइकु' का सम्पादन किया। आप त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका 'यदि' के सम्पादक है। आपको म.प्र. का 'अम्बिका प्रसाद दिव्य स्मृति रजत अलंकरण' ('सड़क पर गिलहरी' कृति के लिए) सहित अन्य कई विशिष्ट सम्मान प्रदान किये जा चुके हैं। वर्त्तमान में अध्यापन कार्य कर रहे हैं। 

'ढाई आखर पुरस्कार' ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व दिनेश सिंह की स्मृति में दिया जायेगा। प्रबुद्ध नवगीतकार एवं नये-पुराने पत्रिका के यशस्वी सम्पादक दिनेश सिंह जी का जन्म 14 सितम्बर 1947 को रायबरेली (उ.प्र.) के एक गाँव गौरारुपई में हुआ। अज्ञेय द्वारा संपादित ‘नया प्रतीक’ में आपकी पहली कविता प्रकाशित हुई थी। ‘धर्मयुग’, ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ तथा देश की लगभग सभी बड़ी-छोटी पत्र-पत्रिकाओं में आपके गीत, नवगीत तथा छन्दमुक्त कविताएं, रिपोर्ताज, ललित निबंध तथा समीक्षाएं प्रकाशित। ‘नवगीत दशक’तथा ‘नवगीत अर्द्धशती’ के नवगीतकार तथा अनेक चर्चित व प्रतिष्ठित समवेत कविता संकलनों में गीत तथा कविताएं संकलित। प्रकाशित कृतियां : ‘पूर्वाभास’, ‘समर करते हुए’, ‘टेढ़े-मेढ़े ढाई आखर’, ‘मैं फिर से गाऊँगा’ (सभी नवगीत संग्रह) ‘परित्यक्ता’ (शकुन्तला-दुष्यंत की पौराणिक कथा को आधुनिक संदर्भ देकर मुक्तछंद की महान काव्य रचना)। निधन : 07 जुलाई 2012।

दिवालोक पुरस्कार

'दिवालोक पुरस्कार' डॉ अवनीश सिंह चौहान को प्रदान किया जाएगा। युवा कवि, अनुवादक एवं सम्पादक डॉ चौहान का जन्म 04 जून, 1979, चन्दपुरा (निहाल सिंह), इटावा (उत्तर प्रदेश) में हुआ। शिक्षा: अंग्रेज़ी में एम०ए०, एम०फिल० एवं पीएच०डी० और बी०एड०। 'शब्दायन' एवं 'गीत वसुधा' आदि समवेत संकलनों में आपके गीत और मेरी शाइन (आयरलेंड) द्वारा सम्पादित अंग्रेजी कविता संग्रह 'ए स्ट्रिंग ऑफ़ वर्ड्स' (2010) में रचनाएं संकलित। आपकी आधा दर्जन से अधिक अंग्रेजी भाषा की पुस्तकें कई विश्वविद्यालयों में पढ़ी-पढाई जा रही हैं। पिछले वर्ष प्रकाशित आपका गीत संग्रह 'टुकड़ा कागज़ का' काफी चर्चित हुआ। आपने डॉ०बुद्धिनाथ मिश्र की रचनाधर्मिता पुस्तक का संपादन किया है। आप वेब पत्रिका पूर्वाभास के सम्पादक और भोपाल से प्रकाशित मासिक पत्रिका 'साहित्य समीर दस्तक' के सह- सम्पादक हैं। आपको अंतर्राष्ट्रीय कविता कोश सम्मान, मिशीगन, अमेरिका से बुक ऑफ़ द ईयर अवार्ड, राष्ट्रीय समाचार पत्र 'राजस्थान पत्रिका का सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है। वर्त्तमान में आप आइएफटीएम विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्राध्यापक हैं। 

'दिवालोक पुरस्कार' ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व डॉ शम्भुनाथ सिंह की स्मृति में दिया जायेगा। डॉ शम्भुनाथ सिंह जी का जन्म 17 जून 1916 को गाँव रावतपार, जिला देवरिया, उत्तरप्रदेश में हुआ। प्रकाशित कृतियाँ : रूप रश्मि, दिवालोक, समय की शिला पर, जहाँ दर्द नीला है, वक़्त की मीनार पर, माता भूमिः पुत्रोSहं पृथिव्या (सभी गीत / नवगीत संग्रह), छायालोक, उदयाचल, माध्यम मैं (गीत और कविताएं), रातरानी, विद्रोह (कहानी संग्रह), धरती और आकाश, अकेला शहर, अदृश्य चम्पा (नाटक), दीवार की वापसी तथा अन्य (एकांकी), छायावाद युग, हिंदी महाकाव्य का स्वरुप- विकास, मूल्य और उपलब्धि, प्रयोगवाद और नई कविता, हिन्दी काव्यों की सामाजिक भूमिका, हिन्दी साहित्य का बृहत इतिहास - 14 वां खण्ड (सभी आलोचनाएं)। नवगीत दशक - एक, नवगीत दशक - दो, नवगीत दशक - तीन, ’नवगीत अर्द्धशती’ एवं नवगीत सप्तक का सम्पादन। निधन : 03 सितम्बर 1991।

Srajan Samman evam Kavya Samaroh, Moradabad, U.P.

12 टिप्‍पणियां:

  1. Hearty Congratulations to every one. Moved to see this type of functions being organised by the Porvabhas at regular intervals.Please Keep it up, it is very encouraging for the writers and the art lovers. My special congratulations to friend and elder brother Shri Ramakant ji on being recognised for his outstanding work in the field of Hindi Literature.

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  2. पुरस्कारों के नाम काव्य-कृतियों के आधार पर रखकर एक नई परम्परा को जन्म दिया है। मैं सभी पुरस्कृत गीतकारों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।

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  3. सभी रचनाकारों को सम्मानित बधाई

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  4. आप सबने मिलकर साहित्य का ही सम्मान बढ़ाया है
    सभी साहित्यकर्मियों को मुबारकबाद

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  5. इस आयोजन में तो साहित्‍य की सच में ही सरिता बही होगी.... आभार कि आपने अवलोकनार्थ भेजा... देश में अच्‍छे कार्यक्रम नगण्‍य हो गये हैं...

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  6. magoge kavi se to sansar kar har phul muskaryega,
    gitoan se uske har chaman ka bagia lahlahayega,
    puspahar se jab bhi swagat kaoge tum uski,
    duaaon ka bas bin maga uphar tum muft paoge.

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