मुरादाबाद : शनिवार, 29 मार्च 2014 श्री सत्य कॉलेज ऑफ हायर एजूकेशन, मुरादाबाद (उ प्र) की ओर से कॉलेज सभागार में 'सृजन सम्मान एवं काव्य समारोह' का आयोजन किया गया। माँ वागीश्वरी के समक्ष मंगलदीप जलाकर जहाँ मुख्य अतिथि अमरोहा के एडीशनल जज श्री राज सिंह वर्मा, विशिष्ट अतिथि मुरादाबाद के डिप्टी कमिश्नर श्री अनुभव सिंह, अध्यक्ष श्री सत्य ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन्स के चेयरमैन श्री देवेन्द्र कुमार मलिक ने कार्यक्रम का शुभारम्भ किया, वहीं डी एल एड के छात्र-छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक डॉ सत्यवीर सिंह चौहान ने 'सृजन सम्मान एवं काव्य समारोह' के प्रयोजन को रेखांकित कर उपस्थित सभी अतिथियों, साहित्यकारों का जोरदार स्वागत एवं अभिनन्दन किया।


समारोह के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र कुमार मलिक ने सम्मानित साहित्यकारों एवं अतिथियों के आगमन पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि साहित्य और संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन बहुत जरूरी है। साहित्यकार समाज के सच्चे शुभचिंतक होते हैं और समाज को दिशा देते हैं। मुख्य अतिथि श्री राज सिंह वर्मा ने अपने उद्बोधन में डॉ सत्यवीर सिंह चौहान के साहित्यिक प्रयासों की सराहना की और कहा कि इस कॉलेज के प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राओं की विनम्रता और साहित्यप्रेम प्रशंसनीय है। विशिष्ट अतिथि श्री अनुभव सिंह ने मुरादाबाद की धरती को प्रणाम करते हुए कहा कि मुरादाबाद की माटी में साहित्य सेवा का जो भाव दिखाई देता है वह श्लाघनीय है।
दूसरे सत्र में आमंत्रित कवियों ने काव्य पाठ किया। डॉ धनञ्जय सिंह (ग़ाज़ियाबाद) , श्री वीरेंद्र आस्तिक (कानपुर), श्री निर्मल शुक्ल (लखनऊ), श्री कमलेश भट्ट 'कमल' (बरेली), श्री राकेश चक्र (मुरादाबाद), डॉ जगदीश व्योम (दिल्ली), श्री रमाकांत (रायबरेली) एवं डॉ अवनीश सिंह चौहान ने अपनी धारदार रचनाओं को प्रस्तुत कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।
1. डॉ धनञ्जय सिंह ने पढ़ा -
हमने कलमें गुलाब की रोपी थीं
पर गमलों में उग आयी नागफनी
समझौतों के गुब्बारे बहुत उड़े
उड़ते ही सबकी डोर छूट गयी
विश्वास किसे, क्या कहकर बहलाते
जब नींद लोरियां सुनकर टूट गयी
सम्बन्धों से हम जुड़े रहे यों ही
ज्यों जुडी वृक्ष से हो टूटी टहनी।
पर गमलों में उग आयी नागफनी
समझौतों के गुब्बारे बहुत उड़े
उड़ते ही सबकी डोर छूट गयी
विश्वास किसे, क्या कहकर बहलाते
जब नींद लोरियां सुनकर टूट गयी
सम्बन्धों से हम जुड़े रहे यों ही
ज्यों जुडी वृक्ष से हो टूटी टहनी।
2. श्री वीरेंद्र आस्तिक ने पढ़ा -
सेक्स उतर आया हिंसा पर
बालाओं का करता मर्डर।
और
बहरों की इस सभागार में
कहने की आज़ादी
इसका सीधा अर्थ यही है
शब्दों की बर्बादी।
3. श्री निर्मल शुक्ल ने पढ़ा -
सीढ़ियां चढ़ती दिखें तो व्योम तक ले जायेंगी
और जो उतरी दिखें तो गर्त में पहुचाएंगी
मीत इन पर पॉँव रखना तुम संभलकर देखना
ये हिलीं तो क्या पता जाने कहाँ ले जाएंगी।
4. श्री कमलेश भट्ट 'कमल' ने पढ़ा -
विरोध अपना जताने का तरीका पेड़ का भी है।
जहाँ से शाख काटी थी वहीं से कोपलें निकलीं।।
और
उन्हें हम कोख में भी चैन से जीने नहीं देते ।
सतायी जा रहीं हैं भ्रूण से ही बेटियां कितनी।।
5. श्री राकेश चक्र ने पढ़ा -
चेहरे पर चेहरे मिलें, अद्भुत इनके जाल।
गैंडे की सी हो गई, मोटी इनकी खाल।।
मोटी इनकी खाल, स्वयं को धोखा देते।
लेते देते खूब, ऐंठ में वे हैं रहते।।
कहें चक्र कविराय हुए हम अंधे बहरे।।
असली चेहरे छिपे आज चेहरे पर चेहरे।।
6. डॉ जगदीश व्योम ने पढ़ा -
कौन भला किससे कहे, कहना है बेकार।
शकरकंद के खेत के, बकरे पहरेदार।।
और
बौने कद के लोग हैं, पर्वत से अभिमान।
जुगनू अब कहने लगे, खुद को भी दिनमान।।
7. श्री रमाकांत ने पढ़ा -
महाभारत फिर न हो यह देखियेगा
फिर वही बातें, वही चालें पुरानी
राजधानी में लुटी है द्रोपदी फिर
खेलते रस्साकसी नेकी-बदी फिर
कौन जीते, कौन हारे देखियेगा
धर्म ने फिर ओढ़ ली खालें पुरानी।
फिर वही बातें, वही चालें पुरानी
राजधानी में लुटी है द्रोपदी फिर
खेलते रस्साकसी नेकी-बदी फिर
कौन जीते, कौन हारे देखियेगा
धर्म ने फिर ओढ़ ली खालें पुरानी।
8. डॉ अवनीश सिंह चौहान ने पढ़ा -
पहना चश्मा, कान पर, धर ली तुमने 'लीड'।
नम्बर बांटे झौंक कर, कॉपी सब 'अनरीड'।।
कॉपी सब 'अनरीड', देखते सभी नज़ारे।
फेल हुए हैं पास, पास सब टॉप-सितारे।।
कहें 'अवनि' कविराय, मानिए मेरा कहना।
देख-भाल कर बाँट, गुरू का चोला पहना।।
काव्य समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि डॉ धन्नजय सिंह ने कहा- "यह कार्यक्रम इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है कि इस मंच से साहित्यिक गीत-कविताओं का वाचन किया गया और प्रबुद्ध श्रोताओं ने धैर्य का परिचय देते हुए काव्य गंगा का पूरे मनोयोग से रसपान किया। आयोजक मण्डल को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।"
कार्यक्रम का संचालन संजीव आकांक्षी एवं अवनीश सिंह चौहान ने संयुक्त रूप से किया। सृजन सम्मान एवं काव्य समारोह में उपस्थित सभी अधिकारियों, विद्वानों, साहित्यकारों, प्राध्यापकों, छात्र-छात्राओं के प्रति आभार अभिव्यक्ति डॉ सत्यवीर सिंह चौहान ने की। इस मौके पर बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं, प्राध्यापकगण, अधिकारीगण, बुद्धिजीवी एवं सामजसेवी मौजूद रहे। इनमें प्रमुख हैं - डॉ ए के त्यागी, डॉ एस एन सिंह, डॉ दीप्ती गुप्ता, डॉ वी के वत्स, डॉ वी वी सिंह, डॉ मंदीप सिंह, डॉ सोमेन्द्र सिंह, हिमांशु यादव, डॉ ब्रजपाल सिंह यादव, डॉ मेजर देवेन्द्र सिंह, डॉ हरेन्द्र सिंह, डॉ हरिओम अग्रवाल, डॉ जी के उपाध्याय, डॉ बी के सिंह, डॉ के के मिश्रा, ब्रजभूषण सिंह गौतम अनुराग, डॉ महेश्वर तिवारी, डॉ सुधीर अरोड़ा, डॉ मुकेश गुप्ता, डॉ महेश दिवाकर, अनवर कैफी, रघुराज सिंह निश्चल, डॉ अजय अनुपम, डॉ जगदीप भट्ट, आनंद कुमार गौरव, योगेन्द्र वर्मा व्योम, डॉ मीना नकवी, डॉ पूनम बंसल, ओंकार सिंह ओंकार, सतीश सार्थक, जितेन्द्र जोली, अंकित गुप्ता अंक, ब्रजवासी जी, चंद्रप्रकाश पन्त, संजीव चंदेल आदि।
फोटो गैलरी
Appears to be very well organised and attended.
जवाब देंहटाएंइस अनुपम और भव्य कार्यक्रम की अपार सफलता हेतु
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ....
"दानिश"
sunder safal karyakram ke liye badhai
जवाब देंहटाएंrachana
बहुत बहुत बधाई ...
जवाब देंहटाएंHurrah, that's what I was exploring for, what a data! present here at this website, thanks admin of this web page. hotmail email sign in
जवाब देंहटाएं