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सोमवार, 18 अप्रैल 2011

मधुर नज्मी और उनकी दो गज़लें — अवनीश सिंह चौहान

 डॉ. मधुर नज्मी

"बुलबुल ग़ज़ल सराई आगे हमारे मत कर/ सब हमसे सीखते हैं, अंदाज़ गुफ़्तगू का।" (मीर तकी 'मीर') कहन का ऐसा अंदाज़ कम ही देखने को मिलता है। हिन्दी ग़ज़ल में यह अंदाज़ लाने का प्रयास कई रचनाकारों ने किया है, उनमें कुछ ही सफल हुए हैं । हिन्दी ग़ज़ल की इस महायात्रा के महत्वपूर्ण  यात्रियों  के रूप में जो नाम मेरे जेहन में उभरते हैं उनमें से एक हैं - डॉ. मधुर 'नज्मी' ।०१ दिसंबर १९४९ ई. को जनपद मऊ (उ.प्र.) के एक गाँव गोहना (मुहम्मदाबाद) में जन्मना डॉ मधुर नज्मी चर्चित साहित्यकार है। आपकी पहली कृति 'थोड़े आंसू ढेरों काजल' (गीति काव्य) के अतिरिक्त आपकी सभी कृतियाँ 'ऐ परिंदों! परों में रहो', साये में सवालों के', 'कुछ दरख़्त पानी के' (सभी ग़ज़ल संग्रह), 'समकालीन हिन्दी ग़ज़ल' (संपादित), 'समकालीन भोजपुरी ग़ज़ल' (संपादित) आदि ग़ज़ल विधा में हैं। हिन्दी ग़ज़ल को देश-विदेश में प्रचारित-प्रसारित करने वाला यह रचनाकार मृदुभाषी एवं मिलनसार है । अंतर्राष्ट्रीय ट्रिनीडाड 'हिन्दी गौरवसम्मान', 'भोजपुरी शिरोमणि', 'निराला सम्मान' आदि सारस्वत-सम्मानों से आपको राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय  स्तर पर अलंकृत किया जा चुका है। संपर्क - 'कव्यमुखी साहित्य अकादमी', गोहना, मुहम्मदाबाद, जिला- मऊ (उ.प्र.)। संपर्कभाष-०९३३६१८२१७४ । इस चर्चित रचनाकार की दो गज़लें हम आप तक पहुंचा रहे हैं:-

चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार 

१. आँसू

जो इन आँखों में हैं सजे आँसू
उनकी यादों के हैं दिये आँसू

आ गये दर्द बाँटने फ़ौरन
मेरे कितने क़रीब थे आँसू

बज़्मे-आलम में अच्छे-अच्छों के
तोड़ देते हैं हौसले आँसू

कहते हैं दास्ताँ मुहब्बत की
तेरी आँखों में तैरते आँसू

दामने-ज़ब्त मुझसे क्या छूटा
मेरे हालात पर हँसे आँसू

सिर्फ़ आना ही इनका काफ़ी है
आप से और क्या कहें आँसू

ग़म के दरिया को पार करने में
सूख जायेंगे आपके आँसू

२. एहसास


ये कैफ़ीयत मेरे एहसास की है
क़लम में आग है तो ज़िन्दगी है

गुमाँ होता है वादी-ए-वफ़ा से
किसी ने मुझको फिर आवाज़ दी है

छुपा लेंगे कहीं भी सर हम अपना
सफ़र है मुख़्तसर दुनिया बड़ी है

लुभा लेती है दिल जो दुश्मनों का
मेरे लहजे में 'वो' शाइस्तगी है

Do Gazalen: Dr Madhur 'Nazmi'

6 टिप्‍पणियां:

  1. हसीं लम्हे तुम्हें आवाज़ देंगे
    जो गुज़रोगे हमारी शायरी से---- इस शेर में काफ़िया कहां मिलता है

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  2. आपने सही कहा. यह टाइपिंग की गलती है. इसीलिये मैं इसे अभी रचना से हटा रहा हूँ. इस हेतु आपका आभार. मुझे आपकी टिप्पणी अच्छी लगी. मुझे और भी अच्छा लगता यदि इन रचनाओं के बारे में आपने दो शब्द कह दिए होते.

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  3. बहुत सुन्दर और भावप्रणव रचनाएँ!
    भगवान हनुमान जयंती पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  4. ye sabhi kuch chura kar likha gaya hai....aur ye khud ek number ka chor aadami hai.

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  5. डॉ मधुर नजमी का 27/02/2023 को देहांत हो गया, इसकी खबर किसी पत्रकार बन्धु ने नहीं छापी ।यह काव्य के प्रति उदासीनता का प्रतीक है ।

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