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मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011

अक्षरा ने दिया नवगीतकार ओमप्रकाश सिंह को सम्मान

अक्षरा सम्मान प्राप्त करते डॉ. ओमप्रकाश सिंह 
साथ में माहेश्वर तिवारी, रामलाल अंजाना एवं डॉ. महेश दिवाकर आदि 

मुरादाबाद - साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' के तत्वावधान में नवीन नगर, काँठ रोड, मुरादाबाद स्थित मानसरोवर कन्या इंटर कॉलेज के सभागार में दिनांक १७ अक्तूवर, २०११ को सम्मान समारोह एवं प्रसिद्ध गीतकार श्री गोपालसिंह नेपाली एवं जनकवि बाबा नागार्जुन  के जन्मशताब्दी वर्ष पर उनकी पावन स्मृति में विमर्श संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें विख्यात गीतकार श्री गोपालसिंह नेपाली एवं जनकवि बाबा नागार्जुन के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर चर्चा के साथ-साथ रायबरेली से पधारे वरिष्ठ  नवगीतकवि डॉ. ओमप्रकाश सिंह को उनकी उल्लेखनीय साहित्य साधना एवं नवगीत के प्रति समर्पण के लिए अंगवस्त्र, मानपत्र, प्रतीक चिन्ह, श्रीफल भेंटकर 'अक्षरा श्रेष्ठ काव्य सृजन सम्मान-२०११' से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ शारदा के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलन से हुआ । तत्पश्चात श्री कृष्ण कुमार 'नाज़' द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई । इसके बाद संस्था के संयोजक योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने सम्मानित व्यक्तित्व डॉ. ओमप्रकाश सिंह के कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 'गीत-नवगीत को समर्पित डॉ. ओमप्रकाश सिंह एक बहुआयामी साहित्यकार हैं । डॉ. सिंह को सम्मानित कर संस्था स्वयं को गौरवांवित महसूस कर रही है।'

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विख्यात नवगीतकार श्री माहेश्वर तिवारी ने कहा कि 'हिंदी भाषा और साहित्य की जिस मशाल को डॉ. ओमप्रकाश सिंह अपनी सृजनात्मकता से जलाए हुए हैं वह उनकी अनवरत गीत-नवगीत साधना का ही पर्याय है ।' मुख्य अतिथि प्रसिद्ध गीतकार श्री ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' ने कहा कि 'डॉ. ओमप्रकाश सिंह के गीत कथ्य और शिल्प की नई परिभाषा गढते हैं।' युवा गीतकार अवनीश सिंह चौहान ने कहा कि ' डॉ. ओमप्रकाश सिंह अपनी पीढ़ी के कवियों में काफ़ी चर्चित एवं सराहे जाते रहे हैं। उनकी कविताई भावकों को अपने रस में पूरी तरह से भिंगो लेने की सामर्थ्य रखती है।' जबकि डॉ महेश दिवाकर ने उन्हें एक समर्थ गीतकार एवं समीक्षक माना। अन्य वक्ताओं में प्रमुख रूप से  श्री अशोक विश्नोई, योगेन्द्र कुमार आदि ने सम्मानित व्यक्तित्व डॉ. ओमप्रकाश सिंह के रचनाकर्म के संदर्भ में अपने-अपने विचार व्यक्त किए । कार्यक्रम में सम्मान के पश्चात डॉ. ओमप्रकाश सिंह ने एकल काव्य-पाठ किया ।

बाबा नागार्जुन व नेपाली जी की जन्म शताब्दी पर विमर्श संगोष्ठी

जनकवि बाबा नागार्जुन एवं प्रसिद्ध गीतकवि गोपाल सिंह नेपाली के जन्मशताब्दी  वर्ष के अवसर पर आयोजित विमर्श संगोष्ठी में उपस्थित साहित्यकारों ने जहाँ एक ओर बाबा नागार्जुन के समग्र साहित्य को विशाल कैनवास वाले वैविध्यपूर्ण कथ्य, शिल्प और भाषा का साहित्य बताया वहीं नेपालीजी को वासंती मादकता और राष्ट्रीय चेतना का प्रमुख गीतकार बताया । दादा तिवारी जी ने कहा कि 'कवियों में प्रमुख बाबा नागार्जुन ने अपने काव्य की अंतर्वस्तु में जीवन की विसंगतियों के साथ-साथ अंतर्विरोधों को भी अपनी अभिव्यक्ति दी है।' मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार श्री ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग' ने राष्ट्रीय गीतकवि नेपाली जी की सृजनात्मकता के संदर्भ में कहा कि 'पंत जी के बाद प्रकृति चित्रण के प्रति उत्कट ललक नेपाली जी के व्यक्तित्व का अंग बन गई थी। नेपाली जी के गीत जनमानस की भावनात्मक ऊर्जा को गति प्रदान करते हैं और उनके राष्ट्रीय चेतना से ओतप्रोत गीत राष्ट्रभक्ति की नई परिभाषा गढ़ते हैं। अन्य वक्ताओं में प्रमुखरूप से अवनीश सिंह चौहान, योगेन्द्र कुमार, डा. महेश दिवाकर, श्री रामलाल अंजाना आदि ने नेपालीजी एवं नागार्जुन जी के रचनाकर्म के संदर्भ में अपने-अपने विचार व्यक्त किए ।

इसके साथ-साथ स्थानीय कवियों सर्वश्री मनोज वर्मा 'मनु', योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई, विवेक कुमार 'निर्मल', अतुल जौहरी, यू.पी.सक्सेना 'अस्त', रामदत्त द्विवेदी, ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग', जिया जमीर, रामदत्त द्विवेदी आदि ने भी चर्चा में भाग लिया । कार्यक्रम का संचालन युवा गीतकार श्री योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने किया तथा आभार अभिव्यक्ति संस्था के संयोजक श्री मनोज वर्मा 'मनु' ने प्रस्तुत की ।

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