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मंगलवार, 23 दिसंबर 2014

सीएल खत्री की कविता 'टू मिनट साइलेंस' पर व्याख्यान

व्याख्यान देते डॉ सुधीर कुमार अरोड़ा 

मुरादाबाद : 20 दिसंबर 2014: महाराजा हरिश्चन्द्र पीजी कालेज के अंग्रेजी विभाग में डॉ सीएल खत्री की कविता 'टू मिनट साईलेंस’ पर एक दिवसीय व्याख्यान का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ मधुबाला सक्सैना, डॉ विशेष गुप्ता एवं डॉ अवनीश सिंह चैहान द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुआ।
प्रतिभागी छात्रों को सम्मानित करते डॉ विशेष गुप्ता,
डॉ मधुवाला सक्सैना एवं डॉ अवनीश सिंह चौहान 


मंच पर डॉ विशेष गुप्ता एवं डॉ मधुवाला सक्सैना
एक दिवसीय व्याख्यान का विषय प्रस्तुत करते हुए ऋचा शर्मा ने खत्री जी की कविता पर विचार रखने के लिये उपस्थित प्राध्यापकगण एवं छात्रों को आमंत्रित किया। कॉलेज के विद्वान प्राध्यापक डॉ सुधीर कुमार अरोरा ने सीएल खत्री की कविता का विस्तृत विश्लेषण करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति को ध्यान में रखते हुए इस कविता में समाज का एक सुन्दर मॉडल प्रस्तुत किया गया है, जिसमें प्रत्येक भारतीय को आगे बढ़कर अपना योगदान देना चाहिए। तदुपरांत मुज्जिमल जी ने खत्री जी की कविता का उर्दू अनुवाद व आतिफ सुजाद ने डॉ सुधीर अरोड़ा द्वारा हिन्दी में अनुवादित कविता को विधिवत प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कॉलेज के चीफ प्रॉक्टर डॉ विशेष गुप्ता ने समाज, संस्कृति एवं साहित्य पर पुर्नमंथन की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम में आमंत्रित विषय विशेषज्ञ डॉ अवनीश सिंह चैहान ने कहा कि डॉ सीएल खत्री की कविता बदलते मूल्यों के साथ भारतीय पराम्पराओं के टूटने और असंयमित आधुनिक जीवन शैली के दुष्परिणामों पर प्रकाश डालती है। अंग्रेजी विभाग की अध्यक्षा आदरणीया डॉ मधुबाला सक्सैना ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय अंग्रेजी साहित्य के समकालीन कवियों का विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना एक अच्छी पहल के रूप में देखा जा सकता है।
डॉ शुभ्रा गुप्ता मंच संचालन करते हुए 

इस अवसर पर विभाग के छात्रों - उज़मा नाज़, युसरा कामरान, तानिया राजपूत, फतेह ताज, जौहा, गौरव आदि ने भी उक्त कविता पर अपने मौलिक विचार रखे।

इस अवसर पर 100 से अधिक छात्र-छात्राओं सहित अनेक प्रध्यापक एवं प्राध्यापिकाओं, जिनमें डॉ नरेन्द्र सिंह, डॉ रविश कुमार, डॉ मनीष भट्ट, डॉ मुकेश चन्द्र गुप्ता, डॉ प्रियंका गुप्ता, डॉ सुषमा गुप्ता, डॉ संगीता गुप्ता, डॉ मीना गुप्ता, डॉ असमा अजीज, डॉ इन्द्रा कश्यप, शीबा, शमा आदि उपस्थित रहे। मंच का संचालन डॉ शुभ्रा गुप्ता ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ मधुबाला सक्सैना ने किया ।


'टू मिनट साईलेंस’ : अनुवादक - डॉ सुधीर अरोड़ा 
 Two-Minute Silence by Dr C L Khatri

मेरे देश की बहनों और भाईयों
आइऐे
दो मिनट का मौन रखे
उन टूटे हुए माइक्रोफोन के लिये
संसद की उन टूटी हुई कुर्सियों के लिये
संविधान के फटे हुए पन्नो के लिये
आइऐ
दो मिनट को मौन रखें

मेरे देश की सभी माताओं और पिताओं
आइऐ
दो मिनट का मौन रखें
आप सभी की काव्यात्मक मृत्यु पर
आपके डर के सहम जाने पर
आपके वायदों और मूल्यों के सम्मान की मृत्यु पर
आइऐ
दो मिनट का मौन रखें

मेरी देश की सभी भद्र महिलाओं और पुरूषों
आइऐ
दो मिनट का मौन रखें
परम्पारिक घोती के गुम हो जाने पर
सम्मानित पगड़ी के गिर जाने पर
बैलों और कुलियों के गायब हो जाने पर
पहियों के आने से
हाथों के कट जाने पर
टांगो के लगड़ाने पर
आइऐ
दो मिनट का मौन रखें

मेरे साथ आइऐ
मित्रों
दो मिनट मौन रखें
इस नयी संस्कृति के लिये
जो नाम से महान है
वहार से शानदार हैं
इस शताब्दी के लिये
जो अपने बड़े-बड़े वायदो के लिये
शानदार से भी ज्यादा शानदार सी लगती है

आइए,
दो मिनट का मौन रखें
अंतरिक्ष के सिकुड़ने पर
सूर्य के सिकुड़ने पर
पवित्र नदियों के जल के मैला हो जाने पर
चिड़ियों का चिर निद्रा में सो जाने पर
पत्तियों के लिये पतझड़  हो जाने पर
भाईयों के झगड़ो के बीच
तरबूज के टुकड़े-टुकड़े हो जाने पर
आइऐ
दो मिनट का मौन रखें

इतने में कोई जल्दी से 
मेरे कानों में फुसफुसाता है
क्या ऐसा नहीं हो सकता कि
हम दो मिनट के बजाय
एक ही मिनट का मौन रखें !

      
Sisters and brothers of India
Let’s observe two-minute silence
On the uprooted microphone
On the broken chair in the parliament
On the torn pages of the constitution.

Mothers and Fathers of India
Let’s observe two-minute silence
On your death, on the death
Of your fear and deference
To your vows and values.

Ladies and gentlemen of India
Let’s observe two-minute silence
On the death of dhoti and pugadi
Oxen and coolies replaced by wheels
Chopped up hands and lame legs.

Friends, stand with me
To observe two-minute silence
On this great grand culture
On this glorious century
On its great promises.

Let’s observe two-minute silence
On the shrinking space, shrinking sun
Stinking water of the sacred rivers
Sleeping birds, falling leaves
Watermelon being sliced for quarreling cousins.

Someone whispered in my ear
Can’t we do with one minute…?

(‘Two-Minute Silence’ from Two Minute Silence 67-68)

Dr C L Khatri




दैनिक जागरण, मुरादाबाद, 21 दिसंबर 2014, पृ 06 


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