रांची : रांची में 27 सितम्बर से 'लोकमन्थन 2018' (राष्ट्र सर्वोपरि पर केंद्रित चार दिवसीय महासम्मेलन) का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें देश-विदेश के सुप्रतिष्ठित कलाकार, साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी, मीडियाकर्मी, फिल्म अभिनेता/निर्देशक आदि ने प्रतिभाग किया। इस कार्यक्रम को भारत के महामहिम उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू जी, लोकसभा स्पीकर माननीया श्रीमती सुमित्रा महाजन जी एवं झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास जी ने संबोधित किया। कार्यक्रम में झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू एवं पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा विशेष रूप से उपस्थित रहे।
बता दें कि प्रज्ञा प्रवाह की ओर से 27 से 30 सितंबर तक लोक मंथन (देश, काल, स्थिति) कार्यक्रम रांची के खेलगांव स्थित टाना भगत स्टेडियम में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में 'राष्ट्र सर्वोपरि' को मानने वाले देशभर के 1500 साहित्यकार, कलाकार, शिल्पकार एवं जनजातीय समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर आपसी संवाद किया। चार दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्घाटन 27 सितंबर को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने किया। माननीय उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ने गुरुवार को खेलगांव में लोकमंथन-2018 का उद्घाटन सत्र में कहा कि भारत दुनिया का सबसे अधिक सहिष्णु देश है और यहां चर्चा और संवाद के ज़रिए समस्याओं का हल निकाला जाता है। इसी हेतु कार्यक्रम में देशभर से बुद्धिजीवी शिरकत कर रहे हैं।
इस बार के कार्यक्रम के संबंध में प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे नंद कुमार ने कहा कि भारत की प्राचीन परंपरा संवाद की रही है। रचनात्मक संवाद द्वारा ज्ञान बढ़ाने का काम चलता रहता था। बीच के कालखंड में विदेशी आक्रमण एवं वर्षो की गुलामी के कारण ज्ञान की इस भूमि भारत में संवाद की परंपरा खो गई। लोगों की सोच बदलने लगी। वर्तमान समय में उसे फिर से स्थापित करने की जरूरत महसूस की जाने लगी। उसी संवाद को स्थापित करने का काम प्रज्ञा प्रवाह कर रहा है। उसमें एक लोकमंथन भी है। यह संगठन उच्च शैक्षणिक संस्थानों में बुद्धिजीवियों के बीच काम करता है।
कार्यक्रम में विविध कलाकृतियों के नृत्य संगीत के द्वारा वैचारिक दार्शनिक विषयों की प्रस्तुति की गयी। प्राचीन काल से भारत के संबंध में विश्व की दृष्टि और विश्व के संबंध में भारत की दृष्टि क्या है इसकी प्रस्तुति नृत्य नाटिका के माध्यम से की गयी। इस कार्यक्रम में डेविड फॉली जी, रंगाहरी जी, राकेश सिन्हा जी, सोनल मानसिंह जी, विनय सहस्त्रबुद्धे जी,पद्मश्री अशोक भगत जी, पद्मश्री यशोधर मठपाल जी, पर्यावरणविद वंदना शिवा जी, हृदयनारायण दीक्षित जी, दत्तात्रेय होसाबले जी, जे नंद कुमार जी, जयपाल सिंह 'व्यस्त' जी, रामेश्वर मिश्र जी, अमीचन्द्र जी, रवींद्र भारती जी, बाबा संजीव आकांक्षी जी, अवनीश सिंह चौहान आदि मौजूद रहे।
30 सितंबर को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन जी ने समापन किया। प्रत्येक दो वर्ष पर होने वाले इस कार्यक्रम का प्रथम आयोजन 2016 में भोपाल में हुआ था। सुमित्रा महाजन जी ने कहा कि प्रजातंत्र में सरकार की आलोचना जरूरी है, लेकिन आलोचना से सकारात्मक सोच आनी चाहिए। देश में सामाजिक समरसता के लिए आत्मचिंतन, आत्मनिरीक्षण भी जरूरी है। लोकमंथन विचारों का कुंभ है, जिसमें देश, काल व स्थिति पर तीन दिन मंथन हुआ है। प्रज्ञा प्रवाह की परिकल्पना वाद और संवाद पर केंद्रित है। वाद और संवाद से समाज के लिए भविष्य की दिशा तय होती है।
बता दें कि प्रज्ञा प्रवाह की ओर से 27 से 30 सितंबर तक लोक मंथन (देश, काल, स्थिति) कार्यक्रम रांची के खेलगांव स्थित टाना भगत स्टेडियम में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में 'राष्ट्र सर्वोपरि' को मानने वाले देशभर के 1500 साहित्यकार, कलाकार, शिल्पकार एवं जनजातीय समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर आपसी संवाद किया। चार दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्घाटन 27 सितंबर को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने किया। माननीय उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ने गुरुवार को खेलगांव में लोकमंथन-2018 का उद्घाटन सत्र में कहा कि भारत दुनिया का सबसे अधिक सहिष्णु देश है और यहां चर्चा और संवाद के ज़रिए समस्याओं का हल निकाला जाता है। इसी हेतु कार्यक्रम में देशभर से बुद्धिजीवी शिरकत कर रहे हैं।
इस बार के कार्यक्रम के संबंध में प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे नंद कुमार ने कहा कि भारत की प्राचीन परंपरा संवाद की रही है। रचनात्मक संवाद द्वारा ज्ञान बढ़ाने का काम चलता रहता था। बीच के कालखंड में विदेशी आक्रमण एवं वर्षो की गुलामी के कारण ज्ञान की इस भूमि भारत में संवाद की परंपरा खो गई। लोगों की सोच बदलने लगी। वर्तमान समय में उसे फिर से स्थापित करने की जरूरत महसूस की जाने लगी। उसी संवाद को स्थापित करने का काम प्रज्ञा प्रवाह कर रहा है। उसमें एक लोकमंथन भी है। यह संगठन उच्च शैक्षणिक संस्थानों में बुद्धिजीवियों के बीच काम करता है।
कार्यक्रम में विविध कलाकृतियों के नृत्य संगीत के द्वारा वैचारिक दार्शनिक विषयों की प्रस्तुति की गयी। प्राचीन काल से भारत के संबंध में विश्व की दृष्टि और विश्व के संबंध में भारत की दृष्टि क्या है इसकी प्रस्तुति नृत्य नाटिका के माध्यम से की गयी। इस कार्यक्रम में डेविड फॉली जी, रंगाहरी जी, राकेश सिन्हा जी, सोनल मानसिंह जी, विनय सहस्त्रबुद्धे जी,पद्मश्री अशोक भगत जी, पद्मश्री यशोधर मठपाल जी, पर्यावरणविद वंदना शिवा जी, हृदयनारायण दीक्षित जी, दत्तात्रेय होसाबले जी, जे नंद कुमार जी, जयपाल सिंह 'व्यस्त' जी, रामेश्वर मिश्र जी, अमीचन्द्र जी, रवींद्र भारती जी, बाबा संजीव आकांक्षी जी, अवनीश सिंह चौहान आदि मौजूद रहे।
30 सितंबर को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन जी ने समापन किया। प्रत्येक दो वर्ष पर होने वाले इस कार्यक्रम का प्रथम आयोजन 2016 में भोपाल में हुआ था। सुमित्रा महाजन जी ने कहा कि प्रजातंत्र में सरकार की आलोचना जरूरी है, लेकिन आलोचना से सकारात्मक सोच आनी चाहिए। देश में सामाजिक समरसता के लिए आत्मचिंतन, आत्मनिरीक्षण भी जरूरी है। लोकमंथन विचारों का कुंभ है, जिसमें देश, काल व स्थिति पर तीन दिन मंथन हुआ है। प्रज्ञा प्रवाह की परिकल्पना वाद और संवाद पर केंद्रित है। वाद और संवाद से समाज के लिए भविष्य की दिशा तय होती है।
यशोधर मठपाल: जयपाल सिंह व्यस्त एवं बाबा संजीव आकांक्षी |
यशोधर मठपाल: जयपाल सिंह व्यस्त एवं अवनीश सिंह चौहान |
अवनीश सिंह चौहान |
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