नवगीत वाङ्मय
(Navgeet Vangmay)
सम्पादक : अवनीश सिंह चौहान
प्रकाशन वर्ष : 2021
पृष्ठ : 174, मूल्य : रु. 350/-
ISBN : 978-93-5529-004-5
प्रकाशक : ऑथर्सप्रेस
Q2-A, हौज खास एन्क्लेव, नई दिल्ली- 110016 (भारत)
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समय-समय पर प्रबुद्ध नवगीतकारों के साथ-साथ समर्पित सम्पादकों ने समाज-निर्माण के उद्देश्य से नवगीत— गीत का आधुनिक संस्करण, की वैश्विक चेतना का विस्तार करने की भरपूर कोशिश की है। ऐसी ही एक कोशिश के रूप में इस संपादित पुस्तक— 'नवगीत वाङ्मय' (Navgeet Vangmay) को देखा जा सकता है, जिसके 'समारंभ' खण्ड में तीन संस्थापक नवगीतकारों— शम्भुनाथ सिंह, शिवबहादुर सिंह भदौरिया व राजेंद्र प्रसाद सिंह के संक्षिप्त परिचय सहित उनकी नवगीत पर टिप्पणियाँ एवं उनके तीन-तीन नवगीत, 'नवरंग' खण्ड में नौ प्रतिष्ठित नवगीतकारों— गुलाब सिंह, मयंक श्रीवास्तव, शान्ति सुमन, राम सेंगर, नचिकेता, वीरेंद्र आस्तिक, बुद्धिनाथ मिश्र, विनय भदौरिया व रमाकान्त के संक्षिप्त परिचय सहित उनकी नवगीत पर टिप्पणियाँ एवं उनके नौ-नौ नवगीत, 'अथबोध' खण्ड में दिनेश सिंह का 'नये-पुराने' पत्रिका (गीत अंक-5, 1999) से लिया गया एक सारगर्भित लेख, 'साक्षात्कार' खण्ड में मधुसूदन साहा से हुई अवनीश सिंह चौहान की महत्वपूर्ण बातचीत, और 'परिशिष्ट' खण्ड में नवगीत की प्रथम पंक्ति के साथ नवगीतकारों के नाम व पते को सहेजा गया है। इस संदर्भ में डॉ विमल (पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग, वर्धमान विश्वविद्यालय, वर्धमान) का मानना है—"संपादन-कला के मर्मज्ञ आचार्यों से अपने सतत जुड़ाव के कारण मैं यहाँ यह बात साधिकार लिख रहा हूँ कि डॉ अवनीश सिंह चौहान द्वारा संपादित— 'नवगीत वाङ्मय' में प्रयुक्त संपादन-कला वस्तुतः शिखर-चुम्बी है। शिखर-चुम्बी इसलिए कि इस पुस्तक में प्रस्तुत अभिव्यंजना के प्रत्येक पक्ष (नवगीतकारों का चयन, नवगीतों का चयन, सुगठित टिप्पिणियाँ, लेख, साक्षात्कार आदि) में संपादक ने जिस कौशल को प्रस्तुत किया है, वह सराहनीय ही नहीं, अनुकरणीय भी है। चयन व संपादन कला में दक्षता हेतु संपादक महोदय को मेरी बहुत-बहुत बधाई।"
Navgeet Vangmay ed. by Abnish Singh Chauhan
नवगीत के सरोकारों को व्यापक पटल देकर अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देने के लिए अवनीश जी का प्रयास महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है।एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब हिन्दी कविता का मेघाच्छन्न आकाश साफ होगा और छान्दसिक कविता के रूप में नवगीत हिन्दी कविता की प्रमुख पहचान बनेगा।उस दिन गीतकारों से अधिक इसके उद्धर्ताओं को याद किया जाएगा।अवनीश जी का नाम उस सूची में प्रमुख सात व्यक्तियों में होगा।
जवाब देंहटाएंपुस्तक मंगवा लिया हूँ.
जवाब देंहटाएंअवनीश सिंह चौहान के लिए
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दिखने में जो शांतप्रिय, सद् विचार के कोष।
बातचीत-संवाद में, करते सच का घोष।।
मुखमंडल जैसे अभी, अभी खिला हो प्रात।
कहने को अवनीश हैं, संतों-सा संतोष।।
- वीरेंद्र आस्तिक
कानपुर, उत्तर प्रदेश
साहित्य अकादमी (भोपाल) से प्रकाशित होने वाली पत्रिका- साक्षात्कार का नवगीत विशेषांक (जुलाई-अगस्त-सितंबर 2022) पिछले दिनों डाक से प्राप्त हुआ। इस विशेषांक का कुशल संपादन श्रद्धेय डॉ रामसनेही लाल शर्मा यायावर जी के विशेष सहयोग से आ. डॉ विकास दवे जी द्वारा किया गया है। नवगीत के क्षेत्र में इसे एक बेहतरीन विशेषांक के रूप में देखा जा सकता है।
जवाब देंहटाएंइस विशेषांक में आ. संपादक जी ने मेरे एक नवगीत- विज्ञापन की चकाचौंध (पृ 156) को स्थान दिया है।
इसी विशेषांक में जहां मेरे अग्रज विद्वान आ. राजा अवस्थी जी ने अपने लेख- आभासी दुनिया में नवगीत में मेरे द्वारा संपादित - गीत पहल और पूर्वाभास वेब पत्रिकाओं द्वारा नवगीत के क्षेत्र में किए गए योगदान को सस्नेह रेखांकित किया है; वहीं ऑथर्स प्रेस, नई दिल्ली से प्रकाशित, मेरे द्वारा संपादित "नवगीत वाङ्मय" की समीक्षा (पृ 184 - 188) परम-सनेही विद्वान डॉ गंगा प्रसाद गुणशेखर जी द्वारा की गई है।
नवगीत के बड़े-बड़े रचनाकारों-लेखकों के बीच मुझ नाचीज को स्थान देने के लिए संपादक महोदय और आचार्यप्रवर यायावर जी का ह्रदय से आभारी हूं।
- अवनीश सिंह चौहान
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'नवगीत वाङ्मय' यहाँ उपलब्ध है : https://www.amazon.in/Navgeet-Vangmay-Abnish-Singh-Chauhan/dp/B09FY2T7NY/ref=sr_1_1?qid=1675398461&refinements=p_27%3AAbnish+Singh+Chauhan&s=books&sr=1-1