लखनऊ, 07 दिसंबर 2025: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और शिक्षा मंत्रालय के भारतीय ज्ञान परंपरा (IKS) प्रभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यूजीसी–आईकेएस मास्टर ट्रेनर्स के लिए एक दिवसीय ओरिएंटेशन प्रोग्राम, रविवार को उत्तर प्रदेश स्थित लखनऊ विश्वविद्यालय के मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (MMTTC) में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दी प्रज्ज्वलन से हुई। दीप प्रज्ज्वलन करने वालों में माननीय कुलपति एवं मुख्य अतिथि प्रो. मनुका खन्ना, विशिष्ट वक्ता श्री प्रफुल्ल केतकर (संपादक, ऑर्गेनाइज़र साप्ताहिक), विशिष्ट वक्ता डॉ. रुचिका सिंह (कोऑर्डिनेटर, IKS डिविजन, शिक्षा मंत्रालय) तथा प्रो. कमल कुमार, निदेशक - MMTTC एवं कार्यक्रम संयोजक शामिल थे। इसके पश्चात लखनऊ विश्वविद्यालय गीत का सामूहिक गायन किया गया।
अपने उद्घाटन संबोधन में प्रो. मनुका खन्ना ने प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ देते हुए भारत की ज्ञान परंपरा की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “भारत के पास ज्ञान और विवेक की अत्यंत समृद्ध धरोहर है। इसे 21वीं सदी की युवा पीढ़ी तक पहुँचाना हमारा महत्वपूर्ण कर्तव्य है।”
कार्यक्रम संयोजक प्रो. कमल कुमार ने सभी मास्टर ट्रेनर्स का स्वागत करते हुए भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत की व्यापकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन आत्म-खोज की अनंत यात्रा— “मैं कौन हूँ?” पर आधारित है, जो भारतीय अध्यात्म का मूल है।
विशिष्ट वक्ता श्री प्रफुल्ल केतकर ने अपने विचारोत्तेजक सत्र में “भारत” की अवधारणा को विस्तार से समझाया और मास्टर ट्रेनर्स के लिए ऐतिहासिक दृष्टि की स्पष्टता पर बल दिया। उन्होंने भारत की सभ्यतागत यात्रा का वर्णन करते हुए प्राचीन काल, पारंपरिक गुरुकुल व्यवस्था, विदेशी आक्रमण, ब्रिटिश औपनिवेशिक शिक्षा प्रणाली, और भारतीय ज्ञान परंपरा की सतत निरंतरता पर चर्चा की।
इसके उपरांत डॉ. रुचिका सिंह ने “आईकेएस के माध्यम से पाठ्यक्रम की पुनर्कल्पना" विषय पर अपना सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने एक प्रायोगिक कार्यशाला भी आयोजित की, जिसमें भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा में प्रभावी रूप से एकीकृत करने की विधियों का व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया। उन्होंने वैश्विक ज्ञान में भारत के योगदान पर भी प्रकाश डाला।
देश के विभिन्न राज्यों से आए लगभग चार दर्जन मास्टर ट्रेनर्स ने पूरे उत्साह के साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया। प्रतिभागियों ने यूजीसी अध्यक्ष श्री विनीत जोशी, यूजीसी सचिव डॉ. मनीष जोशी, यूजीसी संयुक्त सचिव डॉ. मंथा श्रीनिवासु, तथा कार्यक्रम संयोजक प्रो. कमल कुमार और उनकी टीम, विशेषकर डॉ अंश शर्मा, डॉ अनिल कुमार एवं संजीव कुमार श्रीवास्तव, को उत्कृष्ट सहयोग और व्यवस्थाओं के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम का समापन सामूहिक राष्ट्रगान के साथ हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दी प्रज्ज्वलन से हुई। दीप प्रज्ज्वलन करने वालों में माननीय कुलपति एवं मुख्य अतिथि प्रो. मनुका खन्ना, विशिष्ट वक्ता श्री प्रफुल्ल केतकर (संपादक, ऑर्गेनाइज़र साप्ताहिक), विशिष्ट वक्ता डॉ. रुचिका सिंह (कोऑर्डिनेटर, IKS डिविजन, शिक्षा मंत्रालय) तथा प्रो. कमल कुमार, निदेशक - MMTTC एवं कार्यक्रम संयोजक शामिल थे। इसके पश्चात लखनऊ विश्वविद्यालय गीत का सामूहिक गायन किया गया।
अपने उद्घाटन संबोधन में प्रो. मनुका खन्ना ने प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ देते हुए भारत की ज्ञान परंपरा की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “भारत के पास ज्ञान और विवेक की अत्यंत समृद्ध धरोहर है। इसे 21वीं सदी की युवा पीढ़ी तक पहुँचाना हमारा महत्वपूर्ण कर्तव्य है।”
कार्यक्रम संयोजक प्रो. कमल कुमार ने सभी मास्टर ट्रेनर्स का स्वागत करते हुए भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत की व्यापकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन आत्म-खोज की अनंत यात्रा— “मैं कौन हूँ?” पर आधारित है, जो भारतीय अध्यात्म का मूल है।
विशिष्ट वक्ता श्री प्रफुल्ल केतकर ने अपने विचारोत्तेजक सत्र में “भारत” की अवधारणा को विस्तार से समझाया और मास्टर ट्रेनर्स के लिए ऐतिहासिक दृष्टि की स्पष्टता पर बल दिया। उन्होंने भारत की सभ्यतागत यात्रा का वर्णन करते हुए प्राचीन काल, पारंपरिक गुरुकुल व्यवस्था, विदेशी आक्रमण, ब्रिटिश औपनिवेशिक शिक्षा प्रणाली, और भारतीय ज्ञान परंपरा की सतत निरंतरता पर चर्चा की।
इसके उपरांत डॉ. रुचिका सिंह ने “आईकेएस के माध्यम से पाठ्यक्रम की पुनर्कल्पना" विषय पर अपना सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने एक प्रायोगिक कार्यशाला भी आयोजित की, जिसमें भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा में प्रभावी रूप से एकीकृत करने की विधियों का व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया। उन्होंने वैश्विक ज्ञान में भारत के योगदान पर भी प्रकाश डाला।
देश के विभिन्न राज्यों से आए लगभग चार दर्जन मास्टर ट्रेनर्स ने पूरे उत्साह के साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया। प्रतिभागियों ने यूजीसी अध्यक्ष श्री विनीत जोशी, यूजीसी सचिव डॉ. मनीष जोशी, यूजीसी संयुक्त सचिव डॉ. मंथा श्रीनिवासु, तथा कार्यक्रम संयोजक प्रो. कमल कुमार और उनकी टीम, विशेषकर डॉ अंश शर्मा, डॉ अनिल कुमार एवं संजीव कुमार श्रीवास्तव, को उत्कृष्ट सहयोग और व्यवस्थाओं के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम का समापन सामूहिक राष्ट्रगान के साथ हुआ।
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| डॉ पथिक रॉय तथा डॉ अवनीश सिंह चौहान |
डॉ. अवनीश सिंह चौहान (जन्म 4 जून, 1979) वृंदावन के द्विभाषी साहित्यकार और आभासी दुनिया में हिंदी नवगीत के संस्थापकों में से एक हैं। ‘वंदे ब्रज वसुंधरा’ की सूक्ति को जीवन में आत्मसात करने वाले डॉ. चौहान वर्तमान में बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, बरेली के बीआईयू कालेज ऑफ ह्यूमेनिटीज़ एंड जर्नलिज्म में आचार्य और प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं।














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