|
|
|
|
|
मुरादाबाद: यूनिवर्सिटी पॉलीटेक्निक (तीर्थंकर महावीर यूनीवर्सिटी) के कर्मठ एवं जुझारू प्राचार्य आदरणीय डॉ. टी.पी. अग्रवाल जी और युवा सहायक कुलसचिव डॉ. नितिन अग्रवाल जी की प्रेरणा से प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्र-छात्राओं के लिए स्वरचित कविता प्रतियोगिता का आयोजन दिनांक ९ मई बुधवार, अपरान्ह २ बजे, एल टी थिएटर- २ में किया जा रहा है। कार्यक्रम को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए छात्र-छात्राओं को समय-समय पर कविता की बारीकियों से अवगत कराया गया और उनका मार्गदर्शन किया गया, जिसमें अवनीश सिंह चौहान, अनुराधा पंवार, श्री वरुण झा, श्री कार्तिकेय, सुश्री वर्षा वत्स, श्रीमती जरीन फारुक का विशेष सहयोग रहा। इस आयोजन से एक दिन पूर्व इन छात्रों की रचनाओं को पूर्वाभास पर प्रकाशित किया जा रहा है। इनमे से तीन श्रेष्ठ प्रतिभागियों का चयन मूर्धन्य साहित्यकारों के एक निर्णायक मंडल (श्रद्धेय माहेश्वर तिवारी जी, शचीन्द्र भटनागर जी एवं महेश दिवाकर जी) द्वारा किया जाएगा। बुधवार को यह प्रक्रिया पूर्ण होगी। इस कार्यक्रम के संयोजक हैं अवनीश सिंह चौहान और अनुराधा पंवार। प्रतिभागी छात्र-छात्राओं की रचनाएँ पाठकों-विद्वानों के लिए यहाँ प्रस्तुत हैं-
७. माँ से सुना - दिनेश कुमार
दिनेश कुमार |
माँ से सुना
पहला शब्द
पहला गीत
माँ से सीखी
गुरुवाणी
पिता से जाना
चलना
बढ़ना, और
ऊंचे जाना
विश्वास बनाये रखकर
दोनों के आशीष से
पाई मंजिल, पहचान
जगत में।
८. अंतर- प्रदीप कुमार
प्रदीप कुमार |
आज के तमाम नेताओं ने
सीखा है
देश को बांटना
लूटना
और भरना अपनी तिजोरी
देश-विदेश में
कालाबाजारी करके
पहले के नेता
करते थे समर्पित
अपना तन, मन, जीवन
देश की माटी से था उन्हें प्यार
यही अंतर है
उन नेताओं और
इन नेताओं में ।
९. यादों के बहाने- मोहम्मद यूसुफ़
मोहम्मद यूसुफ़ |
दोस्ती
बहुत छोटा शब्द है
माइने बहुत बड़े
आज हम जिनके दोस्त हैं
वे कल कहाँ होंगे
किसे पता?
तब साथ में बिताये
सुख-दुःख के पल
आयेंगे याद
आयेंगे याद
हास्टल
क्लास
वेब सिनेमा और
धास का वह मैदान
जहाँ हमने
बहुत कुछ शेयर किया था
तब टपक पड़ेंगे
कुछ मोती आँखों से
यादों के बहाने।
१०. दोस्त- शमशाद अहमद
शमशाद अहमद |
फ्रेंडशिप डे
मनाते हैं हम
कई बार
निभा नहीं पाते हैं दोस्ती
दोस्त एक भी हो
काफी है
जीने के लिए
विपरीत घड़ी में
जब छोड़ देते हैं साथ
हमारे रिश्तेदार
घर भैये
साथ देता है तब
केवल सच्चा दोस्त
कोई नाता
खून का नहीं होता है उससे
न जाति का
न धर्म का
उससे होता है सम्बन्ध
फिर भी उससे हो
जाता है प्यार-
यह रिश्ता
चलता है
जीवन-मरण तक ।
११. जीवन समर में- सुमित पाण्डेय
सुमित पाण्डेय |
समय
यूं तो भूत, वर्तमान और भविष्य
तीन प्रकार का होता है
किन्तु इसका रूप एक ही है
ऐसे ही
एक होता है लक्ष्य
जीवन का
जिसने साधा लक्ष्य
समय के साथ चलकर
संभलकर
किया परिश्रम
पूरी शक्ति से
उसी को मिली सफलता -
विजय
जीवन समर में ।
१२. पहल - कृतिका राकेश
कृतिका राकेश |
लोग कर रहे हैं
भ्रष्टाचार
दंगे और फसाद
देखकर यह सब
धरती माँ
तिल-तिल मरती है रोज
बहनें-बेटियाँ
सुरक्षित नहीं हैं अब
हमारे देश में
ऐसा देश
जहाँ होती थी कभी
नारी की पूजा
और सम्मान
अपनों का
अपनों से टूटा है नाता
और नहीं रहा आपसी स्नेह
अपनापन
आज लोग
तन से भी ज्यादा
मन से बीमार हैं
कई तो नशे में रहते है
हरदम
पिए और बिना पिए भी
घर अब घर नहीं रहे
होटल हो गये हैं
जहाँ जुटते हैं लोग
पर किसी से किसी का
नहीं होता है वास्ता
क्या-क्या हो रहा है आज
मन दुखी हो जाता है
धरती माँ की तरह ही
हम सबको करनी होगी
मिलजुल कर
एक अच्छी पहल
अपने-अपने स्तर से
धरती माँ के लिए ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी प्रतिक्रियाएँ हमारा संबल: