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गुरुवार, 22 अगस्त 2019

सात दिवसीय ‘श्रीकृष्ण जन्मोच्छव-2019’ में हुए व्याख्यान और ग्रंथ लोकार्पण


वृन्दावन: वृन्दावन शोध संस्थान के संग्रह की पाण्डुलिपियों तथा अभिलेखों पर आधारित सात दिवसीय प्रदर्शनी ‘श्रीकृष्ण जन्म: परम्परा और विस्तार’ एवं व्याखानमाला का भव्य शुभारम्भ मंगलवार को हुआ। कार्यक्रम के अंतर्गत ‘श्रीकृष्ण जन्म: परंपरा और विस्तार’ शीर्षक प्रदर्शनी का उद्घाटन तथा ‘श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की प्रासंगिकता’ विषयक व्याख्यान आदि कार्यक्रम संपन्न हुए। 

प्रथम दिवस 

इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय, हरिद्वार के कुलपति प्रो.महावीर अग्रवाल ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि श्रीकृष्ण प्रसंगों का विस्तार व्यापक है, जिसे निश्चत समय अथवा सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता में निहित ज्ञान/शिक्षाओं में मानव जीवन का सार निहित है। मथुरा-वृन्दावन नगर निगम के महापौर डॉ. मुकेश आर्यबंधु ने कहा कि श्रीकृष्ण का जीवन हमें पग-पग पर प्रेरणायें देता है। ब्रजभाषा साहित्य साधकों के भक्ति ज्ञान से ब्रज के महत्व को समझा जा सकता है। व्याख्यान के दौरान अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य सेवा शोध संस्थान की सचिव संस्कृति अध्येता डॉ. इन्दुराव ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्म भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य का वह बीज वपन है, जिससे संस्कृति की परिभाषायें नाना रूपों में उदित हुई। स्वामी महेशानंद सरस्वती एवं मथुरा-वृन्दावन नगर निगम के उपनेता सदन राधाकृष्ण पाठक ने कहा कि वृन्दावन शोध संस्थान के कार्य महत्वपूर्ण है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर संस्थान का यह महोत्सव विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक रहेगा। स्वागत भाषण के दौरान संस्थान के निदेशक सतीशचन्द्र दीक्षित ने कहा कि हमारा उद्देश्य नई पीढी के मध्य ज्ञान के प्रवाह को बढ़ाना है। इस दौरान आई आई टी रुड़की के प्रो.रजत अग्रवाल ने विदेशों में श्रीकृष्ण संस्कृति विषय पर प्रकाश डाला। 

आकर्षण का केन्द्र: श्री कृष्ण की 15 फुट लम्बी वंशावली और श्रीकृष्ण संस्कृति के अभिलेख व पोथियॉ

उद्धाटन अवसर पर पधारे लोगों ने प्रदर्शनी में संयोजित श्रीकृष्ण की 15 फुट लम्बी वंशावली को खूब सराहा। ब्रजभाषा गद्य में रचित इस वंशावली के साथ ही श्रीकृष्ण संस्कृति से अभिप्रेत अभिलेखीय सन्दर्भों को पाण्डुलिपि तथा दस्तावेजों के रूप में देख लोगों के आश्चर्य की सीमा न थी। इसी के साथ श्रीकृष्ण के पुरा साहित्यिक विवरणों के साथ श्रीकृष्ण जन्म स्थली मथुरा के विषय में प्राचीन यात्रियोँ के विवरण, डाक टिकिटों में श्रीकृष्ण तथा प्रतीकों में श्रीकृष्ण आदि उल्लेखों को देख लोग हतप्रभ दिखे।

इस दौरान नगर निगम कैबिनेट उपाध्यक्ष मूलचन्द गर्ग, श्रीमती ऊषा शर्मा, पं. उदयन शर्मा, डॉ.चन्द्रप्रकाश शर्मा, सचिव सुशीला गुप्ता, देवप्रकाश शर्मा, श्रीमती श्रुतकीर्ति शर्मा, पुनीत शर्मा, बिहारीलाल शर्मा, हरिओम सारस्वत सहित शांतापद्म स्कूल, विद्यापीठ इंटर कालेज, अमरनाथ सुरेका इण्टर कालेज, सरस्वती विद्या मंदिर केशवधाम, प्रेमाविद्यालय, हनुमाप्रसाद धानुका विद्या मंदिर, कान्हा माखन पब्लिक स्कूल, सत्यादेवी इंटर कालेज आदि विद्यालयों के छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीबांकेबिहारी के चित्रपट पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ब्रजभूषण चतुर्वेदी तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राजेश शर्मा ने किया।

द्वितीय दिवस 

वृन्दावन शोध संस्थान में ‘कृष्ण जन्मोच्छव-2019’ के दूसरे दिन बुधवार को ‘श्रीकृष्ण जन्मोत्सव परम्परा और वैविध्य’ विषयक व्याख्यान, ग्रंथ लोकार्पण तथा प्रदर्शनी अवलोकन आदि कार्यक्रम सम्पन्न हुए।

मुख्य वक्ता आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी ने ‘श्रीकृष्ण जन्मोत्सव परंपरा और वैविध्य’ विषय पर विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण के जन्मोच्छव की परम्परा सनातन है। ब्रज में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का वैशिष्ट्य यहाँ के सांस्कृतिक परिदृश्य से समझा जा सकता है। अध्यक्षीय उद्बोधन में बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, रोहतक, हरियाणा के कुलपति प्रो. रामसजन पाण्डेय ने कहा कि श्रीकृष्ण के साकार रूप को जिस तरह साधकों ने रचा, वह भक्ति का मर्म है। सूर के पदों का मर्म यही बात कहता है। मुख्य अतिथि डॉ. अच्युतलाल भट्ट ने कहा कि श्रीकृष्ण की प्राप्ति प्रेमाभक्ति से सहज ही मिलती है। 

‘वृन्दायन’ ग्रंथ का हुआ लोकार्पण

कार्यक्रम के अंतर्गत संस्थान के शोध एवं प्रकाशन अधिकारी डॉ. राजेश शर्मा द्वारा सम्पादित ब्रज-वृन्दावन के सांस्कृतिक परिदृश्य पर केन्द्रित ग्रंथ ‘वृन्दायन’ का लोकार्पण किया गया।

इस अवसर पर अंजलि स्याल, अनुराग पाण्डेय, उदयन शर्मा, राजकुमार पालीवाल, डॉ. इन्दुराव, डॉ. भावना व्यास, मदन गोपाल बनर्जी, रोहिणीनंदन, हरिवंश दास, अर्चना शर्मा, अनुरागकृष्ण पाठक आदि उपस्थित रहे। व्याख्यान कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीबांकेबिहारी जी चित्रपट पर माल्यार्पण से हुआ। व्याख्यान कार्यक्रम में अषोक अज्ञ द्वारा मंगलाचारण प्रस्तुत किया गया। धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के शाषी परिषद सदस्य राधाकृष्ण पाठक द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ब्रजभूषण चतुर्वेदी ने किया।

श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के दौरान व्याख्यानमाला तथा प्रदर्शनी आकर्षण के केन्द्र में रहे। प्रदर्शनी में श्रीकृष्ण से जुड़े उन दुर्लभ सन्दर्भों का आरम्भिक रूप पाण्डुलिपियों तथा दुर्लभ प्राचीन अभिलेखों के माध्यम से दिखाया गया, जो मुद्रण तकनीकी से पूर्व लोकभाषा के रूप में विविधताओं के साथ पोथी और अभिलेखों के रूप में दर्ज होते रहे। इस दौरान ब्रजभाषा गद्य में रचित श्रीकृष्ण की हस्तलिखित वंशावली भी प्रदर्शित की गई, जो ब्रजभाषा की उस समृद्ध परंपरा का परिचायक है जो 16वीं सदी के बाद संस्कृत से ब्रजभाषा की ओर आने लगी। 15 फुट लम्बी इस वंशावली के साथ ही, उनसे जुड़ी प्रतीक परम्परा, अभिलेखों में श्रीकृष्ण संस्कृति, डाक टिकिट एवं विदेशी यात्रियों की दृष्टि में श्रीकृष्ण जन्मस्थल आदि पक्षों का परिदर्शन किया गया। 

आगामी 23 अगस्त को मथुरा में विद्यार्थियों की प्रतियोगितायें भी होंगी। संस्थान के निदेशक सतीशचन्द्र दीक्षित एवं वरिष्ठ अधिकारी डॉ.ब्रजभूषण चतुर्वेदी ने बताया आयोजन की तैयारियां पूर्णता की ओर है। इस दौरान प्रतियोगिताओं में राधाकृष्ण रूप सज्जा हेतु प्रथम पुरस्कार 51000/- रूपये, द्वितीय 31000/- तथा तृतीय पाँच पुरस्कार 21000/- एवं सांत्वना पुरस्कार के रूप में प्रत्येक जोड़े को 2100/- रूपये दिये जायेंगे। जल साँझी हेतु प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार क्रमश: 15000/-, 10000/-, 5000/- दिये जायेंगे। रंगोली प्रतियोगिता हेतु प्रथम पुरस्कार 10000/-, द्वितीय 5000/- एवं तृतीय 3000/- दिये जायेंगे। इसके अतिरिक्त प्रत्येक प्रतिभागी को सांत्वना पुरस्कारस्वरूप 1050/- रूपये दिये जायेंगे।

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