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रविवार, 16 जून 2013

मॉरिशस की साहित्यिक यात्रा - महेश दिवाकर


डॉ महेश दिवाकर
सरस्वती भवन, मिलन विहार
मुरादाबाद (उ0प्र0)
09927383777, 09837689554

मैं एयर मॉरिशस की फ्लाईट नं.-टङ745 से नई दिल्ली, इन्दिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से मॉरिशस के सर सिंह फादर एस.एस. राम गुलाम इन्टरनेशनल एयरपोर्ट को प्रात: 5:20 बजे उड़ान भरनी है। प्रात: के ठीक 5:35 बजे हमारे विमान ने अपने रनवे से मॉरिशस के लिए उड़ान भरी और कुछ ही देर में वह बादलों को चीरकर नीलवर्णी आकाश में अपने लक्ष्य की ओर दौड़ने लगा।

उधर प्राची की दिशा में बाल सूर्य भी अपनी यात्रा पर निकल रहा था। आकाश में दौड़ता विमान और विश्व-यात्रा पर निकलते सूर्य का बाल सौन्दर्य आकाश में अद्भुत दृश्य उत्पन्न कर रहे हैं। इसी बीच, प्रात: का जलपान लेकर विमान-परिचारिकाएं आ गयीं। जलपान करने के पश्चात् मुझे नींद आ गयी। कल दिनभर की थकान और रात्रिभर का जागरण हो चुका था, अत: ज्यों ही नैन बन्द किए, कब गहरी निद्रा ने जकड़ लिया, कुछ पता ही नहंीं चला। हां, जब आंख खुली तो उद्घोषणा हो रही थी कि आप सब अपनी-अपनी बैल्ट बांध लें, मॉरिशस के अन्तर्राष्टÑीय एयरपोर्ट पर आपका विमान शीघ्र उतरने वाला है।

इस समय मॉरिशस में मध्यान्ह के 12:00 बजे हैं। भारत और मॉरिशस के समय में 1:30 घण्टे का अन्तराल है। 28 अक्टूबर 2012 रविवार की अपरान्ह 1:30 बजे भारतीय समयानुसार हमारा विमान सरसिंह फादर एस.एस. रामगुलाम अन्तर्राष्टÑीय एयरपोर्ट मॉरीशस के रनवे पर उतरा और वहां लगी वातानुकूलित बस मे बैठकर हम सब लोग एयरपोर्ट के प्रतीक्षालय मे गये तथा कस्टम व इमिग्रेशन चैकिंग के उपरान्त अपना-अपना सामान लेकर बाहर निकलने में हमें 2:30 बजे हैं। मॉरिशस का यह अन्तर्राष्टÑीय एयरपोर्ट समुद्र तट पर पूर्वी किनारे पर बना है। इसकी साज-सज्जा सादगीपूर्ण है, साफ-सुथरा है। मॉरिशस खूबसूरत समुद्री द्वीप है। यही नहीं, यहां का एयरपोर्ट भी दीपनुमा आकार में आकर्षक साज-सज्जा के साथ बनाया गया है। यहां के कर्मचारी और अधिकारी व्यवहार कुशल हैं। मुस्कराकर बात करते हैं। भारत और भारतीयों के प्रति इनकेह्रदय में सम्मान का भाव है। नमस्ते-नमस्ते, स्वागतम् कहकर उन्होंने हमारे प्रति मॉरिशस की भारत-भावना को प्रकट किया। मन को बहुत अच्छा लगा। हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में यहां पर बातचीत हुई। एयरपोर्ट पर हमारा यह अनुभव बहुत अच्छा है।

एयरपोर्ट के बाह्य-परिसर में हमें लेने के लिए दो वातानुकूलित बसें आ चुकी हैं। जिस बस में हमें बैठाया गया है, उसकी गाईड श्रीमती लीना हैं। यह भारतीय मूल की प्रवासिनी हैं और हिन्दी व अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में भली-भांति बोल लेती हैं। वातानुकूलित बस में बैठकर हम लोगों को होटल पर्ल बीच पहुंचाना है। यह होटल मॉरिशस के पश्चिमी समुद्री किनारे पर बसा है। इसी होटल में हमारे रहने की व्यवस्था की गयी है। होटल पर्ल बीच फ्लिक एन फ्लैक एरिया मे बना है। होटल के परिसर से लगभग 15-20 मीटर की दूरी पर समुद्र का नीला जल किलोलें कर रहा हैं। बड़ा ही अद्भुत दृश्य है। दूर-दूर तक समुद्र फैला है। समुद्र के अन्दर जहाज आते-जाते दिखायी दे रहे हैं। हमारे कक्ष की बॉलकनी से समुद्री-सौन्दर्य देखते ही बनता है। संध्या हो चली है। बिजली की दूधिया रोशनी में समुद्री तट जगमगा रहा है। प्राकृतिक सौन्दर्य और विद्युत प्रकाश दोनों के समन्वय से अद्वितीय मनोरम छटा फैल रही है। मौरिशस सरकार ने व्यावसायिक दृष्टि से अपने यहां पर्यटन को प्रमुख स्थान दिया है। समुद्री तट को विविध वृक्षावलियों से सजाया है। सुन्दर-सुन्दर सड़कें हैं। जिनकें किनारे छायादार और फूलदार वृक्षावलियां लगायी गयीं है। एयरपोर्ट से होटल पर्ल बीच को आते समय अनेकानेक महत्वपूर्ण बातों की जानकारी हमें गाइड श्रीमति लीना से मिली। होटल पर्ल बीच में अपने कक्ष में दो घण्टे विश्राम करने के पश्चात् हमने रात्रि का भोजन 8:30 बजे प्राप्त किया। 

यों तो इस होटल का भोजन कक्ष प्राकृतिक वातावरण को आत्मसात किए हैं। सामने ही समुद्र प्रवाहित हो रहा है। भोजन कक्ष की कुर्सी पर बैठे-बैठे ही समुद्री-सौन्दर्य भली -भांति दृष्टिगोचर हो रहा है। यहां बैठकर भोजन करने का आनन्द ही कुछ अलग है। भोजन में विविध प्रकार के फलों के रस, फलों की चांट, सलादें और शाकाहारी व मांसाहारी दोनों ही प्रकार का भोजन है। शाकाहारी भोजन में पराठा, आलू, गोभी, चावल, दाल, दही, मिष्ठान, पकवान, मक्खन और मांसाहारी भोजन में चिकन तथा मछलियों के व्यंजन हैं। बै्रड्स और उसकी कई प्रकार की निर्मित भोजन सामग्रियां है। यदि आप शाकाहारी हैं तो विदेश में आपको वेटर से पूछकर ही कोई सामग्री अपनी प्लेट में खाने हेतु उठानी चाहिए, वरना आपको धोखा अवश्य हो जायेगा। देखने में तो कई भोज्य सामग्रियां शाकाहारी जैसी लगती है, लेकिन उनमें मांसाहार शामिल रहता है। मॉरिशस-पर्यटन, साज-सज्जा का देश है। प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच रचा-बसा है, अत: यहां पर पर्यटक प्रचुर संख्या में आते हैं। यही कारण है कि यहां के प्रत्येक होटल में सामिष-निरामिष दोनों ही प्रकार का भोजन रहता है। विश्व के अनेकश: देशों के यात्री यहां आते हैं। होटलों में कई-कई दिन ठहरते हैं। अत: यहां के होटलों में चाहे दोपहर का भोजन हो, या रात्रि का भोजन, दोनों में ही मांशाहार प्रधान रूप से रहता है। साथ ही, रात्रि के भोजन के समय संगीत का भी विशिष्ट कार्यक्रम आयोजित रहता है। रात्रि भोजन के उपरान्त हम लोग लगभग 10 बजे अपने-अपने शयन कक्षों में आ गये। अगली सुबह नित्य-कर्म के बाद टहलते-टहलते मैं लगभग एक किलोमीटर निकल गया। फिर मुझे ध्यान आया कि बहुत दूर आ गया हूं। फिर वापस लौटने लगा। वहीं लहरों से अठखेलियां करता मन रोमांच से भर उठता। समुद्र से अकेले में यह मुलाकात अच्छी लगी। होटल के पास आकर समुद्री तट पर बिछी आराम कुर्सी पर मैं बैठ गया और उसके सौन्दर्य को निहारने लगा। देखा तो प्रात: के 8:00 बजे हैं, जलपान के लिए होटल के जलपान-कक्ष की ओर चल दिया। वहीं रोजाना की तरह थोड़ा जूस लिया। फलों की चांट खायी। मक्खन टोस्ट लिया और चाय पीकर होटल के बाह्य-परिसर में आ गये। यहां पर लीना जी दोनों गाड़ियां लेकर आ चुकी थीं, और हम सबकी प्रतीक्षा कर रहीं थीं।

ठीक 9:00 बजे हम सब अपनी-अपनी बस में बैठकर भ्रमण हेतु चल पडेÞ। आज मॉरिशस के दक्षिणी समुद्री भाग पर स्थित पर्यटक स्थलों का भ्रमण करना सुनिश्चित था। लीना जी का यह प्रयास रहता है कि वे हमें अधिक से अधिक पर्यटक स्थलों का भ्रमण करायें और मॉरिशस के बारे में अधिक से अधिक जानकारी दें।

आज हमें सबसे पहले सिटाडेल फोर्ट देखना है तथा मॉरिशस के कुछ आन्तरिक भागों का भी अवलोकन करना है। लगभग एक घण्टा हमें वहां पहुंचने में लगेगा।
इस समय को मनोरंजक बनाने के लिए लीना जी ने अन्त्याक्षरी का प्रस्ताव रखा। तय हुआ कि महिलाएं एक ओर और पुरूष वर्ग दूसरी ओर रहेगा। बस अपनी 40-50 किलोमीटर की गति पर चली जा रही थी और इधर अन्त्याक्षरी हो रही थी। राजधानी पोर्ट लुइस को देखते हुए हम लोग उच्च पर्वतीय चोटी पर स्थित सिटाडेल फोर्ट की ऊंची चोटी पर पहुंच गये। यहां पर खूब फोटोग्राफी हुई। मॉरिशस और समुद्र का सुन्दर दृश्य हम सबने देखा। लौटते समय कॉडन वाटर फ्रंट-ड्राप देखा तथा समारन विलेज और कालापानी के स्थल भी देखे। यहां पर फ्रांसिसियों की कालोनी भी देखी और नमक बनाने की क्यारियों का भी अवलोकन किया। यहीं पर इमली गांव भी देखा। रावनी लकड़ी के बने बिजली के खम्भों को देखा जो वर्षों से मॉरिशस में खड़े बिजली-सप्लाई कर रहे हैं। यह बड़ी मजबूत और टिकाऊ लकड़ी होती है। यहीं पर इमली, इंवौली और वाकुआ की वृक्षावलियों का मनोहर दृश्य भी देखने को मिला। एक ही स्थान पर समुद्र के जल का नीला, श्वेत , हरा, काला, पीला, और आसमानी, रंग देखने को मिला। यहां पर पर्वतीय चोटियों से समुद्र के विविध दृश्य बड़े ही मनोहरी लगते हैं। इसी रास्ते में एक तालाब में वर्षा का पानी देखा, जिसे यहां के लोग पीने के काम में लेते हैं। इसे क्रियोली भाषा में माहोवाकुवा (पानी का तालाब) कहते हैं। मॉरिशस के विभिन्न पर्यटक स्थलों को दिखाती हुई सुश्री लीना जी हमें दोपहर के भोजन के वास्ते नमस्ते रैस्टॉरैण्ट मे ले आयीं। यहां पर आते-आते हमें दो बजे थे। शीघ्र ही हमने नमस्ते रैस्टॉरैण्ट में दोपहर का भोजन लिया और ठीक 2:30 बजे बस से हिन्दी प्रचारिणी सभा हिन्दी भवन लॉग माउण्टेन, मॉरिशस के लिए प्रस्थान कर गये।

हिन्दी प्रचारिणी सभा के हिन्दी भवन में मॉरिशस के सहित्यकारो ने हमारे सम्मान में परिचय-गोष्ठी और जलपान का अयोजन किया है। ठीक 3:30 बजे हमारी बसें हिन्दी प्रचारिणी सभा के परिसर में पहुंचा गयीं। मॉरिशस की हिन्दी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष श्री अजामिल माताबदल ने हम सभी भारतीय साहित्यकारों का स्वागत करते हुए हिन्दी प्रचारिणी सभा की उपलब्धियां की चर्चा की। हिन्दी प्रचारिणी सभा की ओर से भारतीय साहित्यकारों के सम्मान में सूक्ष्म जलपान कराया गया और सबको सभा की स्मारिका भेंट की। अन्तत: ठीक 5:20 बजे हम लोग हिन्दी प्रचारिणी सभा के सदस्यों और पदाधिकारियों से विदा लेकर अपने होटल के लिए प्रस्थान कर गये और लगभग 7:00 बजे अपने होटल पर्ल बीच में आ गये। और उसके बाद हम भारत के लिए रवाना हुए ।

Mauritius Ki Sahityik Yatra- Dr Mahesh Diwakar

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