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शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

विश्व हिंदी साहित्य परिषद् और आधुनिक साहित्य का तृतीय स्थापना दिवस समारोह


हिंदी भवन / नई दिल्ली / 06-01-201. विश्व हिंदी साहित्य परिषद् एवं आधुनिक साहित्य पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में तृतीय स्थापना दिवस मनाया गया। स्थापना दिवस सह अलंकरण समारोह की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध पत्रकार व मीडिया कर्मी राहुल देव ने किया वही मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध लेखिका श्रीमती मृदुला सिन्हा ने किया। समारोह के विशिष्ठ अतिथि हरीश नवल थे। 

संगोष्ठी के विषय '"हिन्दी साहित्यिक पत्रकारिता का परिदृश्य व भविष्य" का विषय प्रवर्तन करते आधुनिक साहित्य के संपादक आशीष कंधवे ने समस्त अतिथियों का स्वागत व आभार जताते हुये कहा कि "राष्ट्र को बचना हैं तो राष्ट्रभाषा हिंदी को बचाना होगा और इसका दायित्व हमें निभाना होगा।" 

मुख्य वक्ता पत्रकार महेश दर्पण ने देश के समस्त साहित्यिक पत्रिकाओं मे सामंजय होना जरूरी है. गौड़ टाइम्स के संपादक बी ए गौड़ ने साहित्य पत्रिकाओ मे भी देश मे व्याप्त भ्रष्टाचार मिटाने हेतु कार्य करना चाहिये। मारीसस से आये हिन्दी विद्वान राज हीरामन ने भारत के लोगो के गाँधी और हिन्दी को बचने पर विचार रखी वही विद्वान हरीश नवल ने हिन्दी शब्दों को ब्रम्हा नहीं वरन उसके अर्थ को ब्रह्म माना. उन्हने हिन्दी के ह्रदय के फ़लक को विस्तृत कर उसमे अन्य भाषाओं को पचाने का अनुरोध किया.उन्होने कहा कि साहित्यिक पत्रिकाएं अपनी अभिव्यक्ति में संप्रेषण आवश्यक है। मुख्य अतिथि मृदुला सिन्हा ने साहित्यिक पत्रिकाओं में लोक साहित्य को स्थान देने पर जोर दिया। उन्होंने भी कहा कि जिन भाषाओं के शब्द हमारे भाषा ने अपने लिये उसके प्रयोग से गुरेज नहीं करना चाहिये। अधय्क्षीय विचार रखते राहुलदेव जी ने हिन्दी भाषा भाषियो को कड़वी नसीहत दी। उन्होने कहा हिन्दी पत्रकारिता कमजोर हुई है. लोकमानस मे हिन्दी संकुचित हुई है. हिन्दी भाषा लगातार मर रही है लेकिन हम वेपरवाह है। आत्ममुग्धता मे अगर कोई जी रहा है तो वह है हिन्दी भाषी. उन्होने बतलाया कि धारा के साथ चलने वाला कुछ नहीं कर सकता। धारा के विपरीत चल के ही हिन्दी के साथ साथ अन्य भारतीय भाषाओं को बचाया जा सकता है. समारोह का मंच संचालन हरीश अरोड़ा ने कि और धन्यवाद विश्व हिंदी साहित्य परिषद् की महासचिव ममता गोयनका ने किया। 

साहित्य जगत के अनेक नामचीन हस्ताक्षर इस समारोह में शामिल हुए। परिचर्चा के पश्चात अलंकरण समारोह में वरिष्ठ कवि श्री अजित कुमार को "विश्व हिंदी साहित्य शिखर सम्मान", श्रीमती चित्र मुद्गल "विश्व हिंदी साहित्य शिखर सम्मान", श्री कमल किशोर गोयनका को "विश्व हिंदी साहित्य अन्वेषण सम्मान" ,श्री सुशिल सिद्दार्थ को "दीनानाथ मिश्र स्मृति सम्मान", श्री राज हीरामन को "विश्व हिंदी प्रवासी रचनाकार सम्मान" , श्री लालित्य ललित को "गोपाल सिंह नेपाली स्मृति सम्मान", श्री अनिल वर्मा मीत को "जानकी बल्लभ शास्त्री सम्मान", श्री महेंद्र प्रजापति को "आधुनिक साहित्य युवा पत्रकार सम्मान", श्री तिलक राज कटारिया को "भारत भूषण जैन स्मृति सम्मान", श्री नन्द लाल जोतवाणी को "विश्व हिंदी साहित्य सेवी सम्मान" सम्मानित किया गया। अलंकरण समारोह का सफल डॉ रवि शर्मा ने किया। 

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