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शनिवार, 25 मार्च 2023

नवगीत : संवादों के सारांश — अवनीश सिंह चौहान


नवगीत : संवादों के सारांश

(Navgeet: Samvadon Ke Saransh)

लेखक : अवनीश सिंह चौहान 
प्रकाशन वर्ष : 2023 
पृष्ठ : 152, मूल्य : रु. 350/-
ISBN : 978-93-91984-32-8 
प्रकाशक : प्रकाश बुक डिपो, बरेली (उ.प्र.)
...

"नवगीत विधा से संबंधित अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने तथा अपनी समझ को विकसित करने के लिए मैंने देश-दुनिया में प्रतिष्ठित चौदह नवगीतकारों— सत्यनारायण, मधुकर अष्ठाना, गुलाब सिंह, कुमार रवीन्द्र, मधुसूदन साहा, मयंक श्रीवास्तव, शान्ति सुमन, राम सेंगर, नचिकेता, वीरेन्द्र आस्तिक, रामनारायण रमण, बुद्धिनाथ मिश्र, रामसनेहीलाल शर्मा 'यायावर' तथा ओमप्रकाश सिंह से सन 2009 से 2022 के दौरान समय-समय पर विस्तार से 'ऑनलाइन' और 'ऑफलाइन' संवाद किया। नवगीतकारों के आयुक्रम के अनुसार रखे गए संवादों की इस सारगर्भित, सुनियोजित एवं दीर्घकालिक प्रक्रिया में जो उत्तर मिले, वे कई बार इतने व्यापक रहे कि उन सबको विज्ञ पाठकों के समक्ष जस-का-तस रखना, उचित नहीं लगा। इसलिए इस पुस्तक में 'सार-सार को गहिते' हुए उन सभी महत्वपूर्ण संवादों के सारांश ही संग्रहीत किये जा सके हैं। 

नवगीत के समर्पित शब्द-साधकों से हुए संवादों पर केंद्रित इस पुस्तक में जिस प्रकार के मौलिक, विविधतापूर्ण एवं समसामयिक विधागत प्रश्न दिए गए हैं, वैसे ही उनके उत्तर हैं। सटीक, सार्थक एवं उपयोगी। कहने का अभिप्राय यह कि भाषा बदलकर प्रश्नों को प्रस्तुत कर या प्रश्नों की पुनरावृत्ति कर नवगीतकारों से संवाद करने की विद्यमान परिपाटी से अलग हटकर इस पुस्तक में बहुआयामी एवं प्रासंगिक प्रश्नोत्तरों को संकलित किया गया है, ताकि विधागत बिंदुओं पर रोचक एवं रचनात्मक संवाद हो सके। इस पुस्तक में संग्रहीत संवाद कितने रोचक एवं रचनात्मक हैं, यह तो संवाद-रसिक ही बता सकेंगे— इसलिए करबद्ध होकर यह सब उन्हीं पर छोड़ता हूँ। इन सभी संवादों के दौरान प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से पत्र-पत्रिकाओं के संपादकों-प्रकाशकों सहित जिन सहयात्रियों एवं सुधीजनों का स्नेह और सहयोग मिला है, उन सबके प्रति मैं श्रद्धावनत हूँ।" — अवनीश सिंह चौहान 
Navgeet Samvadon Ke Saransh by Abnish Singh Chauhan

11 टिप्‍पणियां:

  1. डा. अवनीश सिंह चौहान नवगीत के सशक्त हस्ताक्षर हैं।अभी पिछले साल उनके संपादन में एक समवेत संकलन आया था-'नवगीत वाङ्मय',जो समवेत संकलनों की परंपरा में कुछ अलग महत्व रखता है और जो आज भी चर्चा में है ।और अब यह साक्षात्कार की सद्य:प्रकाशित कृति-नवगीत संवादों के सारांश। विश्वास है यह कृति भी साहित्य के सुधी पाठकों द्वारा सराही जाएगी ।डाॅ.अवनीश को इस श्रम साध्य कार्य के लिए कोटिश:बधाई...

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  2. मित्रो,मैं अपना नाम लिखना अक्सर भूल जाता हूॅ ।मेरा नाम
    -वीरेन्द्र आस्तिक

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  3. निश्चित ही इस महत्वपूर्ण पुस्तक में सम्पूर्ण नवगीत कविता के महत्वपूर्ण हस्ताक्षरों के तथ्यपरक, रोचक और अब तक कई अप्रचारित तथ्यों की भी जानकारी मिल सकेगी। आप के सम्पादन का एक रंग और यहाँ देख पाएँगे। इस पुस्तक में जिन नवगीत कवियों के साक्षात्कार शामिल किए गए हैं, उनके नाम पढ़कर ही पुस्तक पढ़ने की जिज्ञासा बढ़ गई है।
    आपको बहुत-बहुत बधाई।

    सादर
    राजा अवस्थी, कटनी

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  4. 'नवगीत : संवादों के सारांश ' जैसी महत्वपूर्ण पुस्तक के प्रकाशन के लिए आपको हार्दिक बधाई। आपकेे साक्षात्कार निश्चित ही नवगीत काव्य के लिए बड़े उपयोगी सिद्ध होंगे। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई स्वीकारें। बहुत शुभकामनाएँ।"

    - रमेश गौतम

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  5. शुरू से 28 पेज तक पढ़ गया हूं।आपके कुशल संपादन ने इसे बहुत ही crispy बना दिया है। बहुत ही रोचक और जीवंत। बधाई भी और आभार भी। नवगीत के क्षेत्र में नयी पदचाप। - डॉ बुद्धिनाथ मिश्र, देहरादून

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  6. हाल ही में प्रकाश बुक डिपो बरेली से , अवनीश सिंह चौहान द्वारा संपादित नवगीत के चौदह कवियों के साक्षात्कारों का एक महत्वपूर्ण संकलन " नवगीत : संवादों के सारांश " शीर्षक से प्रकाशित हुआ है । पुस्तक में आयुक्रमानुसार नवगीत के जिन कवियों के साक्षात्कार शामिल किये गये हैं , उनके नाम हैं -- सत्यनारायण , मधुकर अस्थाना , गुलाब सिंह , कुमार रवीन्द्र , मधुसूदन साहा , मयंक श्रीवास्तव , शान्ति सुमन , राम सेंगर , नचिकेता , वीरेन्द्र आस्तिक , रामनारायण रमण , बुद्धिनाथ मिश्र , रामसनेही लाल शर्मा यायावर और ओमप्रकाश सिंह । पेपरबैक में छपी 152 पेज की इस पुस्तक का मूल्य 350 रु है । पाठकों और शोधार्थियों के लिए यह पुस्तक कितनी उपयोगी होगी , यह तो वे ही तय करेंगे । इस श्रमसाध्य कार्ययोजना के लिए प्रियवर अवनीश सिंह चौहान निश्चय ही बधाई के पात्र हैं ।

    -- राम सेंगर

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  7. बरेली(उ.प्र.) महाविद्यालय के प्राचार्य, नवगीत के प्रति प्रतिबद्ध नव गीतकार कवि और सुपरिचित साहित्यकार आदरणीय डॉ. अवनीश सिंह चौहान जी की सद्यः प्रकाशित कृति “नवगीत : संवादों के सारांश” कुछ दिनों पूर्व डॉक द्वारा प्राप्त हुई है।इससे पूर्व उनके संपादन में “नवगीत वाड्मय”2021 एवं “बुद्धिनाथ मिश्र की रचनाधर्मिता” 2013 का प्रकाशन हो चुका है। जिसकी नवगीत जगत में खासी चर्चा होती रही है। सद्य प्रकाशित साक्षात्कार संग्रह “नवगीत : संवादों के सारांश” में हमारे समय के लब्ध प्रतिष्ठित 14 बड़े नवगीतकारों से नवगीत के संदर्भ में साक्षात्कार लिया गया है और नवगीत से संबंधित ऐसे कई प्रश्नों और शंकाओं के उत्तर और समाधान खोजने का श्रमपूर्ण कार्य किया गया है जो नवगीत की जटिलताओं का सरलीकरण और नवगीत को समझने में बहुत उपयोगी है। शोधार्थियों के लिए भी यह कृति सहायक होगी। डॉ.अवनीश सिंह जी का यह श्रमसाध्य कार्य स्तुत्य है।डॉ. चौहान साहब को सँग्रह के प्रकाशन की हार्दिक बधाई।
    सादर
    रघुवीर शर्मा
    खंडवा म.प्र.

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  8. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात कविता के क्षेत्र में छन्द मुक्त कविता के प्रादुर्भाव तथा छन्द बद्ध गीत के विरोध के बीच नवगीत का प्रादुर्भाव भी हुआ । नई कविता जहाँ जल्द प्रतिष्ठित हो गई या येन केन प्रकारेण कर दी गई वहीं नवगीत को प्रतिष्ठित होने में कड़ा संघर्ष करना पड़ा । इस संघर्ष में अनेक कवियों को अपना जीवन होम करना पड़ा क्योंकि बेहतर नवगीत लिखने के बाद भी साहित्य जगत में उन्हे वह प्रतिष्ठा नहीं मिली जो नई कविता के मठा धीश खरबोंट रहे थे । कितने ही श्रेष्ठतम नवगीतकार उपेक्षा , तिरस्कार एवं अभावों के बीच प्रयाण कर गए किंतु उन्होने अपनी छन्द साधना नहीं छोड़ी और वे अपने सृजन में लगे रहे ।
    आज नवगीत कविता के केंद्र में है और नई कविता हाशिये पर जा रही है । नवगीत की इस संघर्षमयी यात्रा पर विद्वानो द्वारा व्यक्तिगत रुप से निकाली गई पुस्तकों में अपने अपने ढंग से चर्चा तो की है , किंतु विस्तृत विमर्श की कमी बनी रही है । अवनीश जी का यह प्रयास नवगीत विमर्श की दस्तक देता है । नवगीत के प्रति अवनीश जी का यह जोखिम एवं संभावनाओं से भरा यह आग्रह महत्वपूर्ण है ।
    नवगीत पर विस्तृत एवं सार्थक विमर्श के आभाव का एक दुष्परिणाम यह देखा जाता है कि इस क्षेत्र में बहुत सी खरपतवार भी उत्पन्न हो गई है । नवगीत के आरम्भिक दिनों जिन ऋषि तुल्य साधकों ने अपनी अस्थियों की समिधा बनाई , नई पीढी उन्हे पढे बिना खुद को तीसमारखाँ जताने का प्रयास करती दीखती है । इस पीढी को निश्चित ही अपने पूर्ववर्ती नवगीतकारों को उनके मानदंडों को और उनके संघर्ष को जानना होगा । अन्यथा वे नवगीत तथा खुद का अहित ही कर पाएँगे । अवनीश जी को बहुत बहुत बधाई ।

    - राजेंद्र सिंह ठाकुर, कटनी

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  9. अवनीश सिंह चौहान नवगीत विधा के चर्चित हस्ताक्षर हैं। इन्होंने "टुकड़ा कागज का " (नवगीत संग्रह) के रचनाकार के रूप में अच्छी ख्याति अर्जित की है। लगातार साधनारत अवनीश जी ने नवगीत तो लिखे ही,अनेक माध्यमों से इसके विकास में योगदान किया है। समवेत संकलन 'नवगीत वाड्.मय ' और 'पूर्वाभास ' से नवगीत को नये आयाम मिले हैं।इसी क्रम में "नवगीत - संवादों के सारांश"(साक्षात्कार) अवनीश जी की महत्वपूर्ण संग्रहणीय पुस्तक है। इस कृति के माध्यम से नवगीत की सम्पूर्ण यात्रा को समझा जा सकता है। वरिष्ठ नवगीतकारों के विचार नवगीत की दशा और दिशा पर खुलकर सामने आये हैं। इससे नवगीत की जमीन को उर्वरा शक्ति तो मिलेगी ही, विकास में महत्वपूर्ण योगदान भी मिलेगा। अवनीश जी का कठिन श्रम और साधना स्मरणीय है। उन्हें हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं।

    राम नारायण रमण
    डलमऊ,रायबरेली

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  10. दिनांक - 19 अप्रेल 2023
    मित्रो!
    डाॅ अवनीश सिंहजी चौहान की नयी पुस्तक- 'नवगीत संवादों के सारांश'-मैंने पढ़ी।
    इस पुस्तक में विद्वान लेखक द्वारा नवगीत के स्थापित तेरह सर्जकों से व्यक्तिगत भेंट करके या टेलीफोन/मोबाइल पर नवगीत संबंधी हुई चर्चाओं को साक्षात्कार का स्वरूप प्रदान कर, उनके विचार इस कृति में प्रकाशित किये हैं। नवगीत के वे मूर्धन्य सर्जक ये हैं- सत्यनारायणजी, मधुकर अष्ठानाजी, गुलाबसिंहजी, कुमार रवीन्द्र जी, मधुसूदन साहाजी, मयंक श्रीवास्तव जी, शांति सुमनजी, राम सेंगर जी, नचिकेता जी, वीरेंद्र आस्तीक जी, रामनारायण रमण जी, बुद्धिनाथ मिश्रजी, रामसनेहीलाल शर्मा 'यायावरजी' और उनके स्वयम् के विचार भी इसमें सम्मिलित हैं।
    इन सर्जकों से साक्षात्कारों से इस कृति में नवगीत की भाषा, शिल्प, कथ्य पर गहन विमर्श हुआ है। गीत से नवगीत की यात्रा के कारणों और उद्देश्यों को स्पष्ट किया गया है। नवगीत में जीवन सरोकारों के अतिरिक्त जो नवीन वैश्विक परिवर्तन लेखन में विषयवस्तु के रूप में प्रविष्ट हो रहे हैं, उन पर नवगीत विधा में सर्जना के महत्व
    को प्रतिपादित करते हुए उसकी नवीन भंगिमाओं पर विस्तार से चर्चा हुई है। बिम्ब प्रतीक की नव्यता के महत्व को गहराई से रेखांकित किया है।
    इन साक्षात्कारों के बहाने नवगीत की विगत पचहत्तर वर्षों की यात्रा के पड़ावों की गहन पड़ताल हुई है।नवगीत के विकास में जिन विद्वान साहित्यकारों ने संपादक का दायित्व निभाते हुए जिन संकलनों का संपादन और प्रकाशन किया है उसका पूरा विवरण इस पुस्तक में उपलब्ध होता है।
    नवगीत के नवीन सर्जकों को यह पुस्तक अवश्य पढ़ना चाहिए और अपने संग्रह में सम्मिलित करना चाहिए। अमेजन पर भी यह पुस्तक उपलब्ध है। प्रकाशक जी से संपर्क करके भी आप यह कृति प्राप्त कर सकते हैं।

    Prakash Book Depot
    Bara Bazar, Bareilly -U. P. Pin 243003
    Mob-+915813560114
    Email-prakashbookdepot@gmail.com
    Price-Rs.350.00
    * कुँअर उदयसिंह अनुज

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  11. "साक्षात्कार एक महत्वपूर्ण विधा के रूप में प्रचलित है। चौदह नवगीतकारों से लिए गये साक्षात्कारों की एक पुस्तक — 'नवगीत : संवादों के सारांश' शीर्षक से प्रकाश बुक डिपो, बरेली (उ.प्र.) से प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक में लीक से हटकर कुछ करने की प्रतिश्रुति स्पष्ट दिखाई पड़ती है। साक्षात्कर्ता प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं उत्तर पीढ़ी के ख्यात नवगीतकार अवनीश सिंह चौहान का ध्यान पुस्तक की सोद्देश्यता, तथ्यात्मकता, प्रभाव एवं फलश्रुति की ओर रहा है। प्रसंगवश (प्रवेशिका) के अंतर्गत 'कन्वर्सेशन', 'कम्युनिकेशन', 'इंटरव्यू' जैसे शब्दों के प्रयोग की चर्चा के बाद निष्कर्षतः संवाद या बातचीत एक बहुपक्षीय, स्वाभाविक एवं संरचनात्मक प्रक्रिया है, सामान्यतः मान्य है, को स्वीकृति दी गई है। अलग-अलग उत्तरदाताओं के लिए प्रश्नों की भिन्नता, प्रश्नकर्ता की दूरदृष्टि, तार्किकता एवं व्यापक समाहार का अनन्य प्रयास है। नवगीतकारों के जीवन संघर्ष एवं साहित्यिक संघर्ष की तथ्यात्मक प्रस्तुति इन्हीं बहुआयामी प्रश्नों की धार से ही प्रस्फुटित हुई है। लगभग एक दशक की अवधि में समय-समय पर लिए गए साक्षात्कारों में तथ्यों को समय की विस्तृत पृष्ठभूमि में रखकर समकाल के संदर्भों में समेटा गया है। प्रश्न वैविध्य ने उत्तरों को संधान, विस्तार और विविधता प्रदान की है। अवनीश सिंह चौहान जी को उनकी दृष्टि संपन्नता तथा सार्थक श्रम के लिए बधाई एवं शुभकामनायें।" — गुलाब सिंह, प्रयागराज (उ.प्र.)

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