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मंगलवार, 1 अप्रैल 2014

श्री सत्य कॉलेज ऑफ हायर एजूकेशन में 'सृजन सम्मान एवं काव्य समारोह' का भव्य आयोजन

माँ वागीश्वरी के समक्ष मंगलदीप जलाकर
कार्यक्रम का शुभारम्भ करते श्री देवेन्द्र कुमार मालिक।
साथ में सर्वश्री राज सिंह वर्मा, अनुभव सिंह, 
प्रो एस एन सिंह, 

कॉलेज के निदेशक, डॉ सत्यवीर सिंह चौहान,  डॉ धनञ्जय सिंह, 
वीरेंद्र आस्तिक, निर्मल शुक्ल,कमलेश भट्ट कमल एवं अन्य। 

मुरादाबाद : शनिवार, 29 मार्च 2014 श्री सत्य कॉलेज ऑफ हायर एजूकेशन, मुरादाबाद (उ प्र) की ओर से कॉलेज सभागार में 'सृजन सम्मान एवं काव्य समारोह' का आयोजन किया गया। माँ वागीश्वरी के समक्ष मंगलदीप जलाकर जहाँ मुख्य अतिथि अमरोहा के एडीशनल जज श्री राज सिंह वर्मा, विशिष्ट अतिथि मुरादाबाद के डिप्टी कमिश्नर श्री अनुभव सिंह, अध्यक्ष श्री सत्य ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन्स के चेयरमैन श्री देवेन्द्र कुमार मलिक ने कार्यक्रम का शुभारम्भ किया, वहीं डी एल एड के छात्र-छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक डॉ सत्यवीर सिंह चौहान ने 'सृजन सम्मान एवं काव्य समारोह' के प्रयोजन को रेखांकित कर उपस्थित सभी अतिथियों, साहित्यकारों का जोरदार स्वागत एवं अभिनन्दन किया।
आमंत्रित साहित्यकारों को सृजन सम्मान 
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में आमंत्रित कवियों को सम्मानित किया गया। साहित्यकार डॉ धनञ्जय सिंह (ग़ाज़ियाबाद) को ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व ठाकुर प्रसाद सिंह जी की स्मृति में 'बंशी और मादल पुरस्कार', श्री वीरेंद्र आस्तिक (कानपुर) को ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व राजेन्द्र प्रसाद सिंह जी की स्मृति में 'गीतांगिनी पुरस्कार', श्री निर्मल शुक्ल (लखनऊ) को ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व वीरेंद्र मिश्र जी की स्मृति में 'गीतम पुरस्कार', श्री कमलेश भट्ट 'कमल' (बरेली) को ख्यातिलब्ध साहित्यकार  स्व रवीन्द्र भ्रमर जी की स्मृति में 'भ्रमर पुरस्कार', श्री राकेश चक्र (मुरादाबाद) को ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व डॉ शिवबहादुर सिंह भदौरिया की स्मृति में 'शिंजनी पुरस्कार', डॉ जगदीश व्योम (दिल्ली) को ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व रमेश रंजक की स्मृति में 'गीत विहग पुरस्कार', श्री रमाकांत (रायबरेली) को ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व दिनेश सिंह की स्मृति में 'ढाई आखर पुरस्कार' एवं डॉ अवनीश सिंह चौहान को ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व डॉ शम्भुनाथ सिंह की स्मृति में 'दिवालोक पुरस्कार' से अलंकृत किया गया। इस अवसर पर डॉ बुद्धिनाथ मिश्र (देहरादून) समारोह में उपस्थित नहीं हो सके, जिन्हें ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्व उमाकांत मालवीय जी की स्मृति में 'राघव राग पुरस्कार' दिया जाना था। 


समारोह के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र कुमार मलिक ने सम्मानित साहित्यकारों एवं अतिथियों के आगमन पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि साहित्य और संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन बहुत जरूरी है। साहित्यकार समाज के सच्चे शुभचिंतक होते हैं और समाज को दिशा देते हैं। मुख्य अतिथि श्री राज सिंह वर्मा ने अपने उद्बोधन में डॉ सत्यवीर सिंह चौहान के साहित्यिक प्रयासों की सराहना की और कहा कि इस कॉलेज के प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राओं की विनम्रता और साहित्यप्रेम प्रशंसनीय है। विशिष्ट अतिथि श्री अनुभव सिंह ने मुरादाबाद की धरती को प्रणाम करते हुए कहा कि मुरादाबाद की माटी में साहित्य सेवा का जो भाव दिखाई देता है वह श्लाघनीय है। 

दूसरे सत्र में आमंत्रित कवियों ने काव्य पाठ किया। डॉ धनञ्जय सिंह (ग़ाज़ियाबाद) , श्री वीरेंद्र आस्तिक (कानपुर), श्री निर्मल शुक्ल (लखनऊ), श्री कमलेश भट्ट 'कमल' (बरेली), श्री राकेश चक्र (मुरादाबाद), डॉ जगदीश व्योम (दिल्ली), श्री रमाकांत (रायबरेली) एवं डॉ अवनीश सिंह चौहान ने अपनी धारदार रचनाओं को प्रस्तुत कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। 

1. डॉ धनञ्जय सिंह ने पढ़ा -

हमने कलमें गुलाब की रोपी थीं 
पर गमलों में उग आयी नागफनी 

समझौतों के गुब्बारे बहुत उड़े 
उड़ते ही सबकी डोर छूट गयी 
विश्वास किसे, क्या कहकर बहलाते 
जब नींद लोरियां सुनकर टूट गयी 
सम्बन्धों से हम जुड़े रहे यों ही 
ज्यों जुडी वृक्ष से हो टूटी टहनी।  

2. श्री वीरेंद्र आस्तिक ने पढ़ा - 

सेक्स उतर आया हिंसा पर 
बालाओं का करता मर्डर। 

और 

बहरों की इस सभागार में 
कहने की आज़ादी 
इसका सीधा अर्थ यही है
शब्दों की बर्बादी।

3. श्री निर्मल शुक्ल ने पढ़ा - 

सीढ़ियां चढ़ती दिखें तो व्योम तक ले जायेंगी 
और जो उतरी दिखें तो गर्त में पहुचाएंगी 
मीत इन पर पॉँव रखना तुम संभलकर देखना 
ये हिलीं तो क्या पता जाने कहाँ ले जाएंगी। 

4. श्री कमलेश भट्ट 'कमल' ने पढ़ा - 

विरोध अपना जताने का तरीका पेड़ का भी है।
जहाँ से शाख काटी थी वहीं से कोपलें निकलीं।।

और 

उन्हें हम कोख में भी चैन से जीने नहीं देते ।
सतायी जा रहीं हैं भ्रूण से ही बेटियां कितनी।।

5. श्री राकेश चक्र ने पढ़ा -

चेहरे पर चेहरे मिलें, अद्भुत इनके जाल।
गैंडे की सी हो गई, मोटी इनकी खाल।।
मोटी इनकी खाल, स्वयं को धोखा देते।
लेते देते खूब, ऐंठ में वे हैं रहते।।
कहें चक्र कविराय हुए हम अंधे बहरे।।
असली चेहरे छिपे आज चेहरे पर चेहरे।।

6. डॉ जगदीश व्योम ने पढ़ा - 

कौन भला किससे कहे, कहना है बेकार।
शकरकंद के खेत के, बकरे पहरेदार।।

और 

बौने कद के लोग हैं, पर्वत से अभिमान।
जुगनू अब कहने लगे, खुद को भी दिनमान।।

7. श्री रमाकांत ने पढ़ा -

महाभारत फिर न हो यह देखियेगा 
फिर वही बातें, वही चालें पुरानी 

राजधानी में लुटी है द्रोपदी फिर 
खेलते रस्साकसी नेकी-बदी फिर 
कौन जीते, कौन हारे देखियेगा 
धर्म ने फिर ओढ़ ली खालें पुरानी। 

8. डॉ अवनीश सिंह चौहान ने पढ़ा - 

पहना चश्मा, कान पर, धर ली तुमने 'लीड'।
नम्बर बांटे झौंक कर, कॉपी सब 'अनरीड'।।
कॉपी सब 'अनरीड', देखते सभी नज़ारे।
फेल हुए हैं पास, पास सब टॉप-सितारे।।
कहें 'अवनि' कविराय, मानिए मेरा कहना।
देख-भाल कर बाँट, गुरू का चोला पहना।।

काव्य समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि डॉ धन्नजय सिंह ने कहा- "यह कार्यक्रम इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है कि इस मंच से साहित्यिक गीत-कविताओं का वाचन किया गया और प्रबुद्ध श्रोताओं ने धैर्य का परिचय देते हुए काव्य गंगा का पूरे मनोयोग से रसपान किया। आयोजक मण्डल को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।"

कार्यक्रम का संचालन संजीव आकांक्षी एवं अवनीश सिंह चौहान ने संयुक्त रूप से किया। सृजन सम्मान एवं काव्य समारोह में उपस्थित सभी अधिकारियों, विद्वानों, साहित्यकारों, प्राध्यापकों, छात्र-छात्राओं के प्रति आभार अभिव्यक्ति डॉ सत्यवीर सिंह चौहान ने की। इस मौके पर बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं, प्राध्यापकगण, अधिकारीगण, बुद्धिजीवी एवं सामजसेवी मौजूद रहे। इनमें प्रमुख हैं - डॉ ए के त्यागी, डॉ एस एन सिंह, डॉ दीप्ती गुप्ता, डॉ वी के वत्स, डॉ वी वी सिंह, डॉ मंदीप सिंह, डॉ सोमेन्द्र सिंह, हिमांशु यादव, डॉ ब्रजपाल सिंह यादव, डॉ मेजर देवेन्द्र सिंह, डॉ हरेन्द्र सिंह, डॉ हरिओम अग्रवाल, डॉ जी के उपाध्याय, डॉ बी के सिंह, डॉ के के मिश्रा, ब्रजभूषण सिंह गौतम अनुराग, डॉ महेश्वर तिवारी, डॉ सुधीर अरोड़ा, डॉ मुकेश गुप्ता, डॉ महेश दिवाकर, अनवर कैफी, रघुराज सिंह निश्चल, डॉ अजय अनुपम, डॉ जगदीप भट्ट, आनंद कुमार गौरव, योगेन्द्र वर्मा व्योम, डॉ मीना नकवी, डॉ पूनम बंसल, ओंकार सिंह ओंकार, सतीश सार्थक, जितेन्द्र जोली, अंकित गुप्ता अंक, ब्रजवासी जी, चंद्रप्रकाश पन्त, संजीव चंदेल आदि। 

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