पूर्वाभास (www.poorvabhas.in) पर आपका हार्दिक स्वागत है। 11 अक्टूबर 2010 को वरद चतुर्थी/ ललित पंचमी की पावन तिथि पर साहित्य, कला एवं संस्कृति की पत्रिका— पूर्वाभास की यात्रा इंटरनेट पर प्रारम्भ हुई थी। 2012 में पूर्वाभास को मिशीगन-अमेरिका स्थित 'द थिंक क्लब' द्वारा 'बुक ऑफ़ द यीअर अवार्ड' प्रदान किया गया। इस हेतु सुधी पाठकों और साथी रचनाकारों का ह्रदय से आभार।

बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

व्यंग्य : ड्राइंग रुम से बैड रुम तक - विभावसु तिवारी-

विभावसु तिवारी

विभावसु तिवारी अपनी पीढ़ी के सशक्त व्यंग्यकार हैं। आपके व्यंग्य हमारे समय का यथार्थ प्रस्तुत करते हैं। और यह भी कि ये व्यंग्य अपनी एक नयी दुनिया बसाते है और इस दुनिया का एक कॉमन पात्र है - शर्माजी। शर्माजी एक आम आदमी का किरदार निभाते हैं। यह किरदार नैतिकता-अनैतिकता के पारंपरिक बोध को नए ढंग से पेश करता हैं। विभावसु तिवारी का जन्म 12 अगस्त, 1951 को दिल्ली में हुआ। आप 36 वर्ष तक दिल्ली के नवभारत टाइम्स समाचार पत्र (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ग्रुप) में समाचार संकलन, सम्पादन और लेखन कार्य करते रहे। विभिन्न पत्र- प़ित्रकाओं के सलाहकार सम्पादक रहे। सम्पर्क: टी- 8 ग्रीन पार्क एक्स्टेंशन, नई दिल्ली- 110016। ई-मेल: vtiwari12@gmail.com

र्मा जी के घर के बाहर चकाचक सफेद कुर्ता पाजामा पहने लोगों का जमघट लगा था। कुछ पान चबा रहे थे तो कुछ ने जबड़े के किनारे खेनी की गोली दबा रखी थी। सिटी होंडा, स्कोर्पियो, इन्नोवा, बलेरो आदि कई मेकवाली गाड़ियां आसपास के घरों के गेटों को जाम कर रहीं थीं। देश की भावी राजनीति को लेकर शर्मा जी के घर के सामाने वाली सड़क गरमा रही थी। शर्मा जी अपने ड्राइंग रुम में कुछ मोटे और कुछ ऊंची कद-काठी वाले लोगों के बीच घिरे बैठे थे। सोफे के सामने की टेबल पर रखे केसरिया लड्डू और वरक से चमचमाती बरफी मिलने वालों को पेश की जा रही थी। शर्मा जी कभी खड़े हो कर और कभी बैठे ही लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। चेहरे पर चमक की परत झलक रही थी। बात करते समय वह हल्की सी मुस्कुराहट के साथ देश को नई करवट देने की बात कह कर गम्भीरता का मुखौटा भी धारण कर लेते थे। तभी उनके अभिन्न मित्र मुसद्दी लाल ने ड्राइंग रुम में अवतरित हो, शर्मा जी को उनकी नवोदित पार्टी ‘‘उगता सूरज‘‘ के लिए बधाई दी।

मुसद्दी लाल बोले, ‘‘ शर्मा जी, आपकी पार्टी ‘उगता सूरज‘ ने अपने नाम से ही पूरे देश-समाज में एक स्पदंन पैदा कर दिया है।‘‘ शर्मा जीने खखारते हुए कहा -‘‘ ‘उगता सूरज‘ एक ऐसी सशक्त पार्टी होने जा रही है, जो देश में एक नए समाज की रचना करेगी। हमारी पार्टी सभी को ऊपर उठने का समान अवसर देगी। आज हमने पार्टी का घोषणा पत्र तैयार करने के लिए यह बैठक बुलाई है। मुसद्दी, तुम भी अपने सुझाव देना। हमें एक ऐसा घोषणा पत्र तैयार करना है, जो आम आदमी को पार्टी की तरफ खींचे। हम नहीं चाहते कि हमारा घोषणा पत्र भी दूसरी पार्टियों के घोषणा पत्रों की तरह झूट का शब्द-सागर समझा जाए। हम राजनीति में वंशवाद को खत्म करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।‘‘ मुसद्दीलाल चहके - ‘‘तो फिर आप अपने बेटे को प्रधान मंत्री नहीं बनने देंगे।‘‘ शर्मा जी- ‘‘बिल्कुल नहीं। हम उसे आगे नहीं बढ़ने देंगे। उसके लिए हम बाधा खड़ी करेंगे ताकि पार्टी पर वंशवाद का कलंक न लगे। हम दूसरी राजनीतिक पार्टियों की तरह अपने बेटे- बेटियों को कताई तरजीह नहीं देंगे। उन्ळें पार्टी ऊंचे पदों पर आसीन नहीं होने देंगे। वह आम पार्टी कार्यर्ता की तरह काम करते रहेंगे। उगता सूरज पार्टी देश की एक मिसाल पार्टी होने जा रही है।‘‘ मुसद्दी ने फिर मुंह खोला- ‘‘ यह तो हर पार्टी की अपनी मर्जी है कि वह किस गधे-घोड़े का तिलक करती है या हार पहनाती है। हर पार्टी का अपना संविधान है। वह उस पर चलती है।‘‘ शर्मा जी बोले- वंशवाद पर ढक्कन लगाने के लिए कुछ तो कड़ा कदम उठाना ही होगा। शर्मा जी ने पास में ही खड़े कभी दांत चबाते तो कभी पान चबाते अपने बेटे की तरफ कनखियों से देखा और फिर बोले- खैर, इस मुद्दे पर आगे चर्चा की जा सकती है। विषयांतर करते हुए शर्मा जी ने कहा - हमारी पार्टी साम्प्रदायिकता का डट कर मुकाबला करेगी। लेकिन हम सम्प्रदायों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम कथावाचकों का भी अलग से एक सम्प्रदाय बनाएंगे। इनका अपना एक फ्रेमवर्क होगा। किसी को भगवान कहलाने की इजाजत नहीं होगी। सरकार की इजाजत के बिना आश्रम स्थापित नहीं कर सकेंगे। फ्रेंचाईजी के तहत आश्रम चलाने की अनुमति नहीं होगी। मुसद्दी- फ्रेंचाईजी! शर्मा जी- हां, फ्रेंचाईजी। यानि कि पट्टे पर! आश्रम पर नाम तो बापूजी का होता है पर चलाते हैं अरोड़ा साहब। आजकल यही हो रहा है। यदि कोई कथावाचक अपने व्यवसाय का विस्तार करना चाहेगा तो उसकी भी बाकायदा अनुमति लेनी होगी। शर्मा जी पूरे मूड में थे। बोले -यदि कोई आश्रम का भगवान या बापू भगवान को प्यारा हो जाता है तो उसके आश्रम को सरकार अपने कब्जे में ले लेगी। उस आश्रम की पूरी सम्पत्ति जो कि जनता की ही है, जनता के लिए खर्च की जाएगी।

शर्मा जी ने अपने को जारी रखते हुए कहा, ‘‘हम समतावाद लाने के लिए मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च आदि की इमारतों के एक समान डिजाइन तैयार कराएगें। दूर से देख कर कोई नहीं कह सकेगा कि यह मस्जिद है या मंदिर या फिर चर्च। उगते सूरज की चमक सब पर एक जैसी बिखरेगी। मुसद्दी लाल- ‘‘वाह शर्मा जी! आप की पार्टी तो सही मायने में समाज को एक नई दिशा देने जा रही है।‘‘ शर्मा जी ने सोफे पर बैठे - बैठे हुंकार भरी, ‘‘भ्रष्टाचार दूर करने के लिए उगता सूरज पार्टी अंडर हैंड डीलिंग पर ब्रेक लगाएगी। देशी-विदेशी ऐजेंटों की बाकायदा सूची बना कर उन्हें सूचिबद्ध किया जाएगा। उनके रेट तय होंगे। इससे कालेधन का प्रवाह रुकेगा। सरकार का राजस्व बढ़ेगा। देश समृद्ध होगा। हमारी पार्टी पारदर्शिता की मिसाल होगी। इतिहास में एम.ए. की डिग्री पाने वाले शर्मा जी का अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच कुलाचें मार रहा था। 

मुसद्दी ने पूछा, ‘‘आपकी पार्टी जातिवाद को कैसे समाप्त करेगी ? शर्मा जी- ‘‘उगता सूरज पार्टी सभी को एक जैसी ऊर्जा प्रदान करेगी। आजादी के 65 साल बाद भी जातिवाद को हमेशा से वोटवाद के तराजू पर तोला गया है। अब ऐसा नहीं होगा। हमारी पार्टी सत्ता में आती है तो हम जातिवाद के नाम पर पनप रहे माफियावाद को ध्वस्त कर देंगे। मुसद्दी! तुम यदि इस देश की राजनीति का सही यथार्थवाद समझना चाहते हो तो पहले तुम्हें इस माफियावाद को समझना होगा। यह माफियावाद ही देश को खोखला कर रहा है। इटली और दाऊद के माफियावाद से लेकर आश्रमवाद, भगवावाद, फतवावाद, बाबूवाद आदि वादों को डिब्बे में बंद कर समुद्र में फेंक देना है ताकि इनका जिन फिर से देश की धरती पर करतब न दिखा सके।

शर्मा जी थोड़ा और गम्भीर होते हुए बोले देश से टोपीवाद को भी खत्म करना है। गांधी टोपी से लेकर जिन्ना टोपी, गोल कसीदेवाली टोपी, गुजराती टोपी, मराठी टोपी, मारवाड़ी टोपी, कश्मीरी टोपी आदि रंग बिरंगी टोपियों की बिक्री पर रोक लगाई जाएगी। चुनाव से ठीक पहले इन टोपियों के बाजार सजने लगते हंै। हर नेता अपनी चुनाव रैलियों में उस क्षेत्र की पहचान वाली टोपी पहन अपने भाईवाद का इजहार करता है। कभी अल्पसंख्यकों तो कभी बहुसंख्यकों के प्रति प्रेम उगलता है। उगता सूरजा पार्टी टोपियों के इस खेल को उखाड़ फेंकेगी। क्यों मुसद्दी! तुम्हंे हमारे घोषणा पत्र की रुप रेखा कैसी लग रही है ? मुसद्दी- ‘‘शर्मा जी, आप तो जीनियस हैं। बस, अब आप टोपी तक ही रहिएगा। धोती तक न पंहुचें। वैसे मैं आप की क्रिएटिव सोच की दाद देता हूं।‘‘

शर्मा जी ने फिर हुंकार भरी और कहा देश में बढ़ती मंहगाई को कम करना है। यह जनसंख्या की बढ़ती रफ्तार को कम करके ही किया जा सकता है। जो बच्चे पैदा नहीं करेंगे उन्हें स्पेशल इन्क्रीमेंट दिया जाएगा। वरीयता में पदोन्नति मिलेगी। जो सरकारी कर्मचारी एक संतान की नीति का पालन करेगा, उसके तबादले कम होंगे। स्कूलों में भी उनके बच्चों को वरीयता के आधार पर एडमीशन मिलेगा। परिवार नियोजन का पालन करने वालों को वे सभी सुविधाएं उपलब्ध होंगी जो आरक्षण श्रेणी में आती हैं। आरक्षण का स्थान परिवार नियोजन लेगा। शर्मा जी की इन ‘यूटोपियन‘ बातों को सुन मुसद्दी लाल को थोड़ी घबराहट महसूस हुई कि कहीं ‘‘ उगता सूरज पार्टी‘ उगने से पहले ही डूब न जाए। पर इस विचार को अपनी आम आदमी की टोपी के नीचे दबाते हुए मुसद्दी लाल बोले - तो फिर शर्मा जी, चुनाव प्रचार के लिए मैदान में कब उतरना है? शर्मा जी ने मुसद्दी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, मुसद्दी तुम मेरे चुनाव प्रबंधक हो। मैं तुम्हें पार्टी का सचिव बनाता हूं। बस अब तुम्हारा काम पार्टी को प्रमोट करना है। उगता सूरज पार्टी की सरकार बनवानी है। शर्मा जी की इस -‘वजनदार‘ बात को मुसद्दी ने समझा और कदम बढ़ाते हुए शर्मा जी को ड्राइंग रुम से उठा कर बैड रुम की तरफ ले गए। मुसद्दी ने धीरे से कहा- ‘‘पंडित जी! सारे वादों को छोड़ समझौतावाद की तरफ ध्यान दो। बाहर ‘मोक्षधाम पार्टी‘ और ‘धूमकेतु पार्टी‘ के अध्यक्ष बैठे हैं। हाथ मिलाना चाहते हैं। हाथ मिलाने से हमारे वोट बैंक में जबरदस्त उछाल आ जाएगाा। सरकार हमारी ही बनेगी। बस आप के इशारे की देर है। शर्मा जी एकदम से गम्भीर हो गए। मुसद्दी का सुझाव सुन उन्हें कोफ्त हो रही थी। पर बेबस थे। सरकार बनती नजर आ रही थी। वह बेबसी से बोले मुसद्दी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा कि तुम क्या चाहते हो। पर ध्यान रहे, बैड रुम की बात ड्राइंग रुम तक नहीं जानी चाहिए!

by Vibhavasu Tiwari

1 टिप्पणी:

आपकी प्रतिक्रियाएँ हमारा संबल: